ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को न्याय के देवता और कर्मों के आधार पर फल देने वाले शनिदेव महाराज का जन्म हुआ था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार शनि जयंती 6 जून गुरुवार को मनाई जाएगी. शनिदेव की माता छाया और पिता सूर्य देव हैं. यमराज शनिदेव के भाई हैं. कलयुग में शनि देव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो लोगों को उनके अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर ही फल देते हैं. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि आप नित्य प्रतिदिन शनि देव महाराज की पूजा अर्चना, उनके मंत्रो का जाप करते हैं तो आप पर उनकी विशेष कृपा बनी रहेगी और आपका ध्यान सात्विक कार्यों में लगा रहेगा.
कहते हैं शनिदेव की पूजा अर्चना यदि गंगा में स्नान के बाद किया जाए तो उसका कई गुणा फल प्राप्त होता हैं. हरिद्वार हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल हैं जहां मोक्षदायनी गंगा गोमुख से पहाड़ों में होते हुए हर की पौड़ी पर आती हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार हरिद्वार हर की पौड़ी पर मां गंगा का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. हर की पौड़ी पर गंगा स्नान कर धर्म कर्म का कार्य करने या स्नान कर पूजा पाठ करने से उसका कई गुणा फल प्राप्त होता हैं.
इन कष्टों से मिलेगी निजात
हरिद्वार हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करके शनि देव महाराज के मंत्रो का जाप और पूजा पाठ किया जाए तो क्या लाभ होता हैं. हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव महाराज का जन्म हुआ था. इस दिन सनातन धर्म से जुड़े लोग शनिदेव महाराज की जयंती मानते हैं. इस दिन पूजा पाठ करने और उनके मंत्रो का जाप करने से शनि देव जनित कष्टों से आराम मिलता हैं.
गंगा तट पर करें बीज मंत्रों का जाप
श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि यदि श्रद्धालु हरिद्वार हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करके शनिदेव महाराज के वैदिक मंत्रों और बीज मंत्र का जाप गंगा किनारे बैठकर करें तो उसका कई गुणा लाभ मिलता है और शनि देव जनित पीड़ा से छुटकारा मिल जाएगा. हरिद्वार में मां गंगा और हर की पौड़ी का विशेष महत्व है इसलिए हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करके शनिदेव के निमित्त ध्यान, मंत्रो का जाप, पूजा पाठ आदि करने से विशेष फायदा होता है.