स्कूलों में सामुदायिक सहभागिता का नया अध्याय लिख रहा न्योता भोज

बिलासपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर 16 फरवरी 2024 को विधिवत रूप से स्कूलों में न्योता भोज की शुरुआत की गई और देखते ही देखते न्योता भोज ने पूरे प्रदेश के स्कूलों में अपनी एक अलग पहचान बना ली। सामुदायिक सहयोग से स्कूली बच्चों को स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस आयोजन को स्कूली शिक्षक और विभिन्न समुदाय के लोग हाथों हाथ ले रहे हैं और साथ ही प्रशासन की भी पूरी सहभागिता इसमें नजर आ रही है, यही वजह है कि जहां भी न्योता भोज का आयोजन होता है वहां कलेक्टर कमिश्नर समेत स्कूल शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारी पहुंचने की कोशिश करते हैं इसका सबसे बड़ा लाभ यह हो रहा है कि जहां बच्चों को एक तरफ पौष्टिक आहार मिल जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ स्कूलों की मॉनीटरिंग भी हो जा रही है यानी एक पंथ दो काज के तर्ज पर न्योता भोज छत्तीसगढ के स्कूलों में छाया हुआ है। प्रदेश के सभी स्कूलों में न्योता भोज होता हुआ नजर आ रहा है। जिले के स्कूलों में अब तक 1 हजार 788 न्योता भोज का आयोजन विभिन्न अवसरों पर किया गया है, जिसमें 1 लाख 18 हजार 27 बच्चों ने पौष्टिक एवं लजीज भोजन का आनंद लिया है।

 नन्हे मुन्ने बच्चों को मिलने लगा स्वादिष्ट आहार

यूं तो स्कूल में मध्याह्न भोजन पहले से ही बच्चों को वितरित होता आ रहा है लेकिन मध्याह्न भोजन जहां पौष्टिक भोजन के रूप में परोसा जाता है वही न्योता भोज की अवधारणा स्वादिष्ट भोज के रूप में की गई है जिसमें बच्चों को पूरी हलवा खीर मिठाई जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका मिलता है। शिक्षक और स्कूल से जुड़े लोग अपने जन्मदिन या खास अवसरों को अब स्कूल के बच्चों के साथ न्योता भोज के रूप में मनाना पसंद कर रहे हैं। स्वादिष्ट भोजनों को पाकर उनके चेहरे पर जो संतुष्टि नजर आती है, उसे देखकर अपने खास मौकों पर न्योता भोज देने वालों को भी संतुष्टि और खुशी मिलती है।

सरकंडा बिलासपुर स्थित पंडित रामदुलारे दुबे स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक बालक शाला सरकंडा में पिछले माह रिटायर हुए शिक्षक प्रताप पाटनवार ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 700 लोगों के न्योता भोज का आयोजन किया और कार्यक्रम के बाद उन्होंने रुंधे गले और आंखों में आंसुओं के साथ कहा कि ‘‘जिन बच्चों के कारण मुझे 42 साल तक सरकार सैलरी देती रही और जिनके कारण मेरा घर चला रहा उनके लिए मैं एक दिन कुछ खास कर पाया उसकी मुझे खुशी है।’’ 
सरकंडा स्कूल में पूरे आयोजन को संपूर्ण संपूर्ण करने में महती भूमिका निभाने वाले शिक्षक नेता और व्याख्याता विवेक दुबे से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि शासन की यह योजना वास्तव में अपने आप में एक अद्भुत योजना है क्योंकि हम अपनी खुशी ऐसे लोगों के साथ बांटते हैं जिन्हें उसका मोल पता है। सरकारी स्कूल में पलने बढऩे वाले अधिकांश बच्चे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले घर के बच्चे हैं और उनके साथ मिलकर जब आप बैठकर भोजन करते हैं तो उनके थाली में जब यह भोज भरोसा जाता है तो इसकी कीमत उन्हें बेहतर तरीके से पता है और वह आनंद के साथ इसका लुत्फ उठाते हैं, उनके चेहरे की खुशी देखकर न्योता भोज करने वाला भाव विभोर ना हो जाए ऐसा हो ही नहीं सकता। इससे न केवल सामुदायिक परस्परता बढ़ रही है बल्कि स्कूलों से आमजन का जुड़ाव भी और अधिक बेहतर तरीके से हो रहा है साथ ही बड़े अधिकारी जब न्योता भोज के बहाने ही स्कूल पहुंचते हैं तो स्कूल की मॉनिटरिंग भी हो जाती है।

क्या है न्योता भोज

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने राज्य शासन द्वारा न्योता भोज की अभिनव पहल की जा रही है। न्योता भोज की अवधारणा एक सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। कोई भी व्यक्ति या सामाजिक संगठन, जन्मदिन, वर्षगांठ या अन्य खास मौको पर अपने पास के स्कूल, आश्रम या छात्रावास में जाकर बच्चों के लिए न्योता भोजन का कार्यक्रम कर सकता है। इसमें पूर्ण भोजन का योगदान किया जा सकता है या अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज आदि के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान दिया जा सकता है। 

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