अब ‘लैप्स’ नहीं होंगे विभागों के बजट

महीनावार बजट खर्च करने की बाध्यता हुई समाप्त

भोपाल। प्रदेश के विभागों को खर्च के लिए मिलने वाला बजट अब ‘लैप्स’ नहीं होगा। सरकार ने पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए अब नई व्यवस्था की है कि अगर कोई विभाग महीनावार मिलने वाले बजट को पूरा खर्च नहीं कर पाता है तो वह अगले महीने के बजट में शामिल हो जाएगा। वित्त विभाग की इस व्यवस्था से विभाग अपने बजट का सही उपयोग कर पाएंगे। वर्ना पहले यह होता था कि बजट ‘लैप्स’ होने के डर से विभाग उसे जहां-तहां खर्च कर देते थे।
दरअसल, विभागों को मिलने वाले बजट की बंदरबांट को देखते हुए वित्त विभाग ने इस बार सभी विभागों को महीना-वार आवंटित बजट राशि खर्च करने के संबंध में बड़ा संशोधन किया है। अगर कोई विभाग उसे आवंटित बजट उस महीने में पूरा खर्च नहीं कर पाता है, तो अगले महीने के लिए आवंटित बजट में यह राशि स्वत: जुड़ जाएगी। इससे पहले व्यवस्था यह थी कि किसी विभाग द्वारा महीना विशेष के लिए आवंटित राशि उस अवधि में खर्च नहीं की जाती है, तो संबंधित विभाग को बची हुई राशि खर्च करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेना पड़ती थी। अब वित्त विभाग से अनुमति लेने की बाध्यता खत्म कर दी गई है।

केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के लिए प्रावधान

वित्त विभाग ने सभी विभागों के लिए बजट के संबंध में एक और प्रावधान किया है। केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में केंद्र सरकार से बैंक खातों में प्राप्त होने वाली राशि को अब विभाग उस मद में सीधे खर्च नहीं कर पाएंगे। विभागों को अब यह राशि अपने बजट में लेना पड़ेगी। इसके बाद ही विभाग उस राशि को संबंधित मद में खर्च कर पाएंगे। पूर्व में विभाग को किसी मद में मिलने वाले केंद्रांश को बजट में लाने की बाध्यता नहीं थी। वित्त विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की शेष अवधि के लिए बजट आवंटन और इसे खर्च करने की कार्ययोजना के संबंध में सभी विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार त्रैमासिक व्यय सीमा का निर्धारण मुक्त श्रेणी एवं विशेष व्यय सीमा के अंतर्गत उपलब्ध आवंटन को छोडकऱ शेष वार्षिक आवंटन के आधार पर किया जाएगा। प्रथम दो त्रैमास में आवंटन का अधिकतम 55 प्रतिशत, प्रथम तीन त्रैमास में आवंटन का अधिकतम 80 प्रतिशत और केवल चौथे त्रैमास के लिए बजट का प्रावधान अधिकतम 30 प्रतिशत व्यय सीमा निर्धारित की गई है। अनुपूरक बजट प्रावधानों को शामिल करने के बाद वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए त्रैमासिक व्यय सीमा संशोधित हो सकती है।

 

विभागों के लिए गाइड लाइन

वित्त विभाग ने विभागों के लिए गाइड लाइन बनाकर निर्देश जारी किए हैं कि हितग्राही मूलक योजनाओं में उपलब्ध बजट आवंटन के अनुसार ही वित्तीय वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। किसी भी योजना के अंतर्गत राशि के आहरण की स्वीकृति तब तक जारी नहीं की जाए, जब तक कि देयता निर्मित नहीं हो गई है। केंद्र प्रवृर्तित योजनाओं में भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार केंद्रांश और समतुल्य राज्यांश की राशि का एसएनए खातों में अंतरण की कार्रवाई निर्धारित समय अवधि में सुनिश्चित की जाए, किसी भी स्थिति में राशि अंतरण में देरी के कारण ब्याज भुगतान की स्थिति निर्मित न हो, इसका उत्तरदायित्व संबंधित विभाग का रहेगा। यदि किसी योजना के अंतर्गत ही उपयोगिता प्रमाण पत्र 31 मार्च, 2024 की स्थिति में महालेखाकार कार्यालय को प्रेषित नहीं किया गया है, तो उपयोगिता प्रमाण पत्र की कार्यवाही पूर्ण की जाए। वित्तीय वर्ष की समग्र आवश्यकता का अनुमान लगाने के बाद ही उपलब्ध बजट आवंटन अनुसार सामग्री के क्रय करने की कार्यवाही की जाए। शासन के मितव्ययिता संबंधी समय-समय पर जारी आदेशों का कड़ाई से पालन किया जाए और बजट आवंटन से अधिक के नए कार्य या दायित्व निर्मित नहीं किए जाएं। नाबार्ड से वित्त पोषित योजनाओं के अंतर्गत ऋण राशि प्राप्त करने के लिए व्यय के लेखे हर महीने की 20 तारीख तक प्रेषित किए जाएं।

लागू हुए विधेयक

जुलाई के पहले सप्ताह में आयोजित मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में दो विधेयक और चार संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए गए थे। राज्यपाल डॉ. मंगुभाई पटेल ने इन विधयको व संशोधन विधेयकों को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के साथ ही इनके संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। अब ये विधेयक व संशोधन विधेयक लागू हो गए हैं। वित्त विभाग को भी इन विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार था। अब वित्त विभाग जल्द ही सभी विभागों को बजट राशि आवंटित करेगा। मप्र खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक-2024 : विधेयक में खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अब भूस्वामी और खनन करने वाली एजेंसी के विरुद्ध जुर्माना लगाने और एफआईआर दर्ज कराने का प्रावधान है। मप्र मंत्री (वेतन व भत्ता) संशोधन विधेयक 2024: इसमें सभी मंत्रियों द्वारा अपने वेतन-भत्ते का इनकम टैक्स स्वयं भरने का प्रावधान किया गया है। पहले यह इनकम टैक्स सरकार भरती थी। निजी विवि (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक-2024: विश्वविद्यालयों के कुलपति अब कुलगुरु कहलाएंगे।

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