हाल ही में आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद अब सभी की निगाहें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर हैं।
लगातार दो बार से केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हैट्रिक रोकने के लिए तमाम विपक्षी दल INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) नामक गठबंधन के तहत एकजुट हुए हैं।
हालांकि जहां भाजपा के पास नरेंद्र मोदी जैसा कद्दावर चेहरा है तो वहीं इंडिया गठबंधन ने अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है कि वह किसके चेहरे पर चुनावी मैदान में जाएगा।
विपक्षी गठबंधन के पास राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे प्रमुख चेहरे हैं।
नीतीश कुमार के नाम पर फिर से चर्चा
विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है। इस बीच नीतीश कुमार के नाम पर फिर से चर्चा होने लगी है। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश को विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनाया जाने की मांग कर रहे है।
नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) ने उन्हें एक प्रमुख राष्ट्रीय चेहरे के रूप में पेश करने की सावधानीपूर्वक योजना बनाई है। बता दें कि इंडिया गठबंधन की अगली बैठक 17 से 20 दिसंबर के बीच होगी।
इसके एजंडे में अगले लोकसभा चुनाव के लिए घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल का मुद्दा शीर्ष पर होगा। इस दौरान जदयू नीतीश का नाम आगे बढ़ा सकती है।
नीतीश अगले 10 दिनों की अवधि के भीतर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सभी शीर्ष विपक्षी नेताओं से मुलाकात करेंगे।
नीतीश भले ही अक्सर अपनी प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा को कमतर आंकते रहे हों, लेकिन जदयू के वरिष्ठ नेता उन्हें भावी प्रधानमंत्री के तौर पर पेश करते रहते हैं। इसे नीतीश को अहम पद दिलाने के लिए इंडिया ब्लॉक की बैठक से पहले राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा भी माना जा रहा है।
“कोई शर्त नहीं रख रहे हैं”
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जेडी (यू) के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया, “सबसे पहले, हम स्पष्ट कर दें कि हम नीतीश को कोई पद देने के लिए इंडिया ब्लॉक के सामने कोई शर्त नहीं रख रहे हैं। लेकिन हमने जो योजना बनाई है वह बिहार के बाहर बातचीत की एक श्रृंखला है। हमारी यूपी इकाई ने पहले ही उन्हें फूलपुर, मिर्जापुर और वाराणसी की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। हम जनवरी में उनकी यूपी यात्रा का कार्यक्रम बना रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि सीएम को झारखंड से भी निमंत्रण मिला है। जदयू नेता ने कहा, “इसके अलावा, हरियाणा और महाराष्ट्र के कुछ जाति संघों और सामाजिक समूहों ने उन्हें आमंत्रित किया है।
बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिध्वनि मिली है और नीतीश कुमार पहले से ही अपनी समाजवादी और विकास की राजनीति के लिए मांग में हैं। नीतीश ये सभी यात्राएं जनवरी के बाद करेंगे।”
क्षुद्र राजनीति का सहारा नहीं लेते- जदयू
यह पूछे जाने पर कि क्या हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद जद (यू) कांग्रेस के साथ कड़ी सौदेबाजी करने की कोशिश कर रही है? इस पर त्यागी ने कहा, “हम कभी भी क्षुद्र राजनीति का सहारा नहीं लेते हैं। यह जद (यू) का कार्यक्रम है और यदि इंडिया गुट कुछ भी निर्णय लेता है, तो इसे समायोजित किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं। हमें अपना कार्य एक साथ करना होगा”।
नीतीश रविवार को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हिस्सा लेंगे। इसमें उनकी निर्धारित भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर, त्यागी ने कहा, “नीतीश ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में इसमें भाग लेंगे और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बिहार की चिंताओं को उठाएंगे।
इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।” त्यागी ने कहा कि हालिया विधानसभा चुनाव विपक्ष को शीघ्र एकजुट होने, सीट बंटवारे पर निर्णय लेने और संयुक्त रैलियों की घोषणा करने की याद दिलाते हैं।