ललन सिंह को हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के नीतीश कुमार के फैसले पर खूब चर्चा हो रही है।
कयासों का बाजार गर्म है। नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ वापस जाने को लेकर भी कयासबाजी हो रही है।
हालांकि, शुक्रवार को जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्तावों से तो यही पता चला पा रहा है कि वह फिलहाल एनडीए में जाने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
जेडीयू ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार या गठबंधन के संयोजक बनने को लेकर इच्छुक नहीं है।
प्रस्ताव में 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने और एनडीए से बाहर निकलने के नीतीश कुमार के फैसले का भी समर्थन किया गया है।
पार्टी ने पटना में विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री को बधाई भी दी है।
आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन की पहली बैठक जून में पटना में नीतीश कुमार द्वारा आयोजित की गई थी। इसमें 15 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने और भाजपा को हराने का संकल्प लिया था।
शुक्रवार को पारित जेडीयू के प्रस्ताव में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार के कार्यों के कारण लोगों में भय, घृणा और उन्माद की भावना है।
पार्टी ने केंद्र सरकार पर आम लोगों के मुद्दों पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी देश के संघीय ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।
इसमें मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवान के विरोध का जिक्र किया गया है।
जनता दल यूनाइटेड ने यह भी आरोप लगाया कि जब भी दलितों और आदिवासियों सहित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित मुद्दे सामने आते हैं, तो भाजपा सनातन राग के साथ इसका मुकाबला करती है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि भाजपा बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान से छुटकारा पाना चाहती है और मनुस्मृति को लागू करना चाहती है।