देशभर में आज से नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं।
इसके साथ ही दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत पहली एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ दर्ज की गई है।
जानकारी के अनुसार, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने और बिक्री करने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत एक रेहड़ी-पटरी (स्ट्रीट वेंडर) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
एफआईआर के अनुसार, आरोपी की पहचान बिहार के बाढ़ निवासी पंकज कुमार के रूप में हुई है।
पुलिस ने एफआईआर में उल्लेख किया है कि आरोपी मुख्य सड़क के पास एक ठेले पर तंबाकू और पानी बेच रहा था, जिससे आने-जाने वालों को परेशानी हो रही थी।
जब उस इलाके में गश्त कर रही पुलिस ने आरोपी से अपना ठेला हटाने को कहा तो उसने अधिकारियों की बात अनसुनी कर दी।
न्याय में देरी रोकने में मदद करेंगे नए आपराधिक कानून
दरअसल, सोमवार से देश भर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं, जो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाएंगे और औपनिवेशिक युग के कानूनों को समाप्त करेंगे।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्रमशः ब्रिटिश युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इन नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी के मजबूत उपयोग की शुरुआत करना है।
दिल्ली पुलिस नए कानूनों के लिए पूरी तरह तैयार : छाया शर्मा
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने कहा कि आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू होना शुरू गए हैं। आज से इसमें एफआईआर दर्ज होना भी शुरू हो जाएंगी।
इस विषय में हमने 5 फरवरी से ही ट्रेनिंग शुरू कर दी थी, जो जांच में बदलाव लाए गए हैं उसको हमने बहुत ठीक से समझाया है।
छाया शर्मा ने कहा कि इन कानूनों से हम दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं। इसमें डिजिटल साक्ष्यों पर बहुत अधिक जोर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब साक्ष्य डिजिटली रिकॉर्ड होंगे और जब डिजिटली रिकॉर्ड होता है तो बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया जा सकता।
डिजिटली रिकॉर्ड से कोर्ट को समझने में ज्यादा आसानी होगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने ऐप भी बनाया है। दिल्ली पुलिस के करीब 45000 लोग बिल्कुल प्रशिक्षित हैं।
हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। हमने एक पॉकेट बुकलेट तैयार की है जिसे 4 भागों में बांटा गया है और इसमें आईपीसी से लेकर बीएनएस तक, बीएनएस में जोड़ी गई नई धाराएं, श्रेणियां जो अब 7 साल की सजा के अंतर्गत आती हैं और एक तालिका शामिल है इसमें रोजमर्रा की पुलिसिंग के लिए आवश्यक अनुभाग शामिल हैं।
आईपीसी के तहत ही निपटाए जाएंगे पुराने केस
स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने कहा कि कानून पूर्वव्यापी प्रभाव से काम नहीं करता है। इसलिए पहले से दर्ज पुराने मामलों को आईपीसी के तहत निपटाया जाएगा और उन मामलों के लिए सीआरपीसी प्रभावी होगी।
हालांकि, जब आज 1 जुलाई से नए मामले दर्ज किए जाएंगे, तो उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएं लागू होंगी।
इसी तरह, आज से शुरू होने वाली जांच की प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) का पालन करेगी, न कि सीआरपीसी का… पुराने मामलों को पुरानी धाराओं – सीआरपीसी और आईपीसी के तहत निपटाया जाएगा।
नए मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धाराओं के साथ निपटाया जाएगा।
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