न कामकाज, न सुनवाई, व्यवस्था ठप

भोपाल । मप्र के राजस्व मंडल में अजब-गजब हाल है। दस्तावेज में भलेही नाम चले, लेकिन हकीकत में राजस्व मंडल ठप पड़ा हुआ है। यहां न तो नियमित केस सुना जा रहा है न निराकरण हो रहा है। यानी प्रदेश के राजस्व से जुड़े बड़े मामलो को निपटाने के लिए गठित राजस्व मंडल सफेद हाथी साबित हो रहा है। राज्य शासन की बेरुखी के चलते यहां या तो अधिकारी पदस्थ नहीं किए जा रहे या फिर बार बार उनका तबादला कर दिया जाता है। जिससे कोरम के अभाव में नियमित बेंच नहीं लग पा रही है। हालात यह हैं कि प्रदेश भर के किसान और अन्य लोग यहां सुनवाई के लिए आते हैं तो उन्हें तारीख देकर चलता कर दिया जाता है। यही कारण है कि यहां लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय यहां दस से बारह हजार मामले लंबित हैं।
मध्य भारत क्षेत्र में मध्य भारत राजस्व मंडल अध्यादेश 1948 के अधीन राजस्व मंडल का गठन किया गया था। मंडल का गठन मप्र भू राजस्व संहिता 1959 के अन्तर्गत किया गया है। राजस्व मंडल प्रदेश में भू-राजस्व संहिता के अन्तर्गत राजस्व प्रकरणों की अपीलें-निगरानी सुनने की उच्चतम संस्था है। राज्य शासन द्वारा ग्वालियर को मंडल का प्रधान स्थान नियत किया गया है। राजस्व मंडल में द्वितीय अपील आती हैं। वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व मंडल की समीक्षा करने की शक्ति को खत्म कर दिया था, इसलिए रिवीजन के पुराने मामले ही चल रहे हैं। अब राजस्व मंडल बंटवारे-नामांतरण की द्वितीय अपील सुनता है। सीमांकन तक के मामले यहां नहीं आते हैं, वे सीधे एसडीएम के बाद लोगों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। राजस्व मंडल में मामलों की नियमित सुनवाई नहीं होने से लंबित मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। स्थिति यह है कि जिन मामलों की सुनवाई की तारीख आती है तो उन्हें अगली तारीख दे दी जाती है। मदन विभीषण नागरमोजे का तबादला होने के बाद मंडल में सुनवाई स्थगित है। मंडल 11 नवंबर से सूना पड़ा है।

मंडल का कोरम अधूरा तो नहीं होता कोई कार्य
मप्र राजस्व मंडल का कोरम पूरा न होने पर राजस्व मंडल कार्य नहीं करता है। यहां आने वाले केसों में तारीख लगा दी जाती है। जिन पीडि़तों को न्याय चाहिए वे उम्मीद लगाए बैठे हैं, उन्हें कोर्ट की शरण लेना पड़ रही है। मंडल में मौजूद स्टाफ के अनुसार यहां अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी आते हैं, बैठते हैं, लेकिन एक सदस्य का पद खाली होने के कारण काम नहीं करते। दरअसल राज्य सरकार ने प्रदेश में बढ़ते राजस्व प्रकरणों के विवाद के निराकरण के लिए राजस्व मंडल का गठन कर उसका मुख्यालय ग्वालियर में बनाया है। कायदे से यहां अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को अध्यक्ष और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को सदस्य के रूप में पदस्थ किया जाना चाहिए, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ऐसी पदस्थापना करने में असफल रहा है। पूर्णकालिक अध्यक्ष के बजाय प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को अध्यक्ष का प्रभार दिया जा रहा है। अध्यक्ष एवं सदस्यों की पदस्थापना लटकाए रहने से अनियमित बेंच रह जाती है। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में प्रभारी अध्यक्ष पर सचिन सिन्हा और दो सदस्यों के रूप में संजीव कुमार झा व मदन विभीषण नागरमोजे की पदस्थापना की थी, जिससे यहां बैंच लगना शुरू हो गई। इस टीम ने लगभग सवा महीने सुनवाई की, लेकिन 11 नवंबर को मदन विभीषण नागरमोजे का तबादला हस्तशिल्प विकास निगम में कर देने से कोरम अधूरा रह गया। जिससे यहां बेंच लगना अब बंद हो गई है।

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