देहरादून, 31 अगस्त। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने सन 1994 में राज्य आंदोलन के दौरान 1 सितंबर को खटीमा कांड और 2 सितंबर को घटे मसूरी कांड को उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के “अविश्वसनीय अध्याय’ बताया है। उन्होंने कहा है कि इस दिन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने अपने बलिदान देकर इस राज्य की नींव को रखने के मार्ग को प्रशस्त किया। उन्होंने कहा राज्य कभी भी बिना खून बहाए नहीं मिलते और जिस तरह से पुलिस ने खटीमा और मसूरी में निर्दोष लोगों का दमन किया वह आज भी उत्तराखंड राज्य निर्माण के इतिहास का काला अध्याय है। धीरेंद्र प्रताप आज राज्य आंदोलनकारियों की खटीमा और मसूरी कांड की स्मृति में आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में जिसे धीरेंद्र प्रताप के अलावा गब्बर सिंह रावत सुष्मिता भंडारी रामलाल नेगी विकास रावत गणेश डोबरियाल मुकेश चमोली संयोगिता पोखरियाल अजय बिष्ट समेत अनेक लोगों ने संबोधित किया, राज्य आंदोलन के महान शहीदों को सभी ने सर्व संपत्ति से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सरकार से मांग की की उत्तराखंड के इतिहास को जल्द से जल्द उत्तराखंड की माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। उन्होंने राज्य सरकार से देहरादून और गैरसैंण में राज्य आंदोलनकारी के लिए आंदोलनकारी विश्राम गृह बनाए जाने और खटीमा मसूरी मुजफ्फरनगर और लाल किला कांड में मारे गए शहीदों की याद में राज्यों के सड़कों, भवनों, योजनाओं का नामकरण भी किए जाने की मांग की। उन्होंने खटीमा मसूरी मुजफ्फरनगर कांड के शहीदों को राज्य की दूसरी आजादी के नायक बताया और राज्य के मूल निवास, राजधानी भू कानून, परसंपत्तियों के बंटवारे जैसे सवालों को राज्य आंदोलनकारी के सपनों के अनुरूप किए जाने की सरकार से मांग उठाई। इस मौके पर तमाम राज्य आंदोलनकारी ने उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका को याद करते हुए आज उत्तराखंड निर्माण के बाद वहां की महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की यात्रा में महिलाओं पर हो अत्याचारों पर तुरंत रोक लगाई और यदि रोक नहीं लगाया सकते हैं तो उन्हें सरकार के इस कार्य का पूर्ण आचरण के लिए नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।