सदन में सांसद कम से कम चार स्वदेशी भाषा में रख सकेंगे बात

पाकिस्तान की पंजाब असेंबली में संशोधन किए जाने के बाद सांसद अब सदन में अंग्रेजी और उर्दू के अलावा पंजाबी समेत कम से कम चार स्वदेशी भाषाओं में अपनी बात रख सकेंगे।स्पीकर मलिक मोहम्मद अहमद खान की अगुवाई वाली पंजाब विधानसभा की एक विशेष समिति ने सांसदों को अंग्रेजी और उर्दू के अलावा पंजाबी, सरायकी, पोटोहारी और मेवाती में सांसदों को संबोधित करने की अनुमति देने वाले संशोधनों को गुरुवार को मंजूरी दे दी।पहले एक सांसद को अंग्रेजी और उर्दू के अलावा किसी और भाषा का इस्तेमाल करने के लिए स्पीकर से अनुमति लेनी पड़ती थी। कई बार होता था, जब स्पीकर अनुमति नहीं देते थे। हालांकि, अब सांसदों को बड़ी राहत मिली है।विधानसभा नियमों में संशोधन का उद्देश्य इन भाषाओं को बोलने वाले लोगों के लिए पहुंच को बढ़ाना, एक अधिक प्रतिनिधि और उत्तरदायी विधायी निकाय को बढ़ावा देना है, जबकि यह बदलाव प्रांत की बहुभाषी प्रकृति को दर्शाता है, जिससे विधायकों को संवाद करने और विधायी चर्चाओं में प्रभावी रूप से भाग लेने में सक्षम बनाया जा सके।अध्यक्ष ने कहा कि आधिकारिक कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता देना और शामिल करना पंजाब की भाषाई विरासत के सांस्कृतिक सम्मान और स्वीकृति को भी दिखाता है, जिससे विधानसभा और लोगों के बीच संबंध मजबूत होते हैं।इस बात पर विवाद है कि क्या सरायकी, पोटोहारी और मेवाती सिर्फ पंजाबी और अलग-अलग भाषाओं की बोलियां हैं। उनका उपयोग करने वालों का मानना है कि ये अलग-अलग भाषाएं थीं, लेकिन कट्टर पंजाबी इन्हें बोलियां कहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *