मौत के मुंह से देवी मां ने खींच लाई जान, यहां है माता का सबसे ऊंचा दरबार! चमत्कारों से भरी कहानी

बेगूसराय:- आज हम मां के दिव्य दरबार की एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी अद्भुत मायालोक की कहानी सुनने के बाद आप हैरान में पड़ जायेंगे. यह उस मंदिर की कहानी है, जिसकी पहचान विश्व में सबसे ऊंचे मां दुर्गा के दिव्य दरबार के रूप में होने का दावा किया जाता है. लोगों ने बताया कि मुगल काल में इस मंदिर की स्थापना एक छोटे से स्थानों पर कहीं से लाकर की गई थी. इसके बाद से स्थानीय लोगों की मन्नत पूरी होती गई और मां के दिव्य दरबार को भव्य रूप मिलने लगा. इतना ही नहीं, जहां यह मंदिर मौजूद है, इस गांव में जो कुछ भी होता है, तो मां के दिव्य दरबार में सूचना देकर ही होता है. गांव के हजारों लोग रोजाना संध्या दिव्य आरती में शामिल होते हैं और फिर अपनी बात मां से साझा कर ही अपने काम की शुरूआत करते हैं.

 

संतान प्राप्ति और जॉब को लेकर प्रसिद्ध है मंदिर
मंदिर के पुजारी पंकज सिंह ने बताया कि यह मंदिर विशेष रूप से संतान प्राप्ति और  रोजगार उपब्लध कराने को लेकर प्रसिद्ध है. यहां मन्नत मांगने से पॉजिटिव एनर्जी मिलती है और यदि एक दो अंक से अगर पीछे हो गए, तो ऐसे छात्र सफल हो जाते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर पुजारी और भक्त यहां तक दावा करते हैं कि मां के आशीर्वाद के रूप में नौकरी या संतान मिलने के बाद भक्त सिमिरिया धाम गंगा किनारे से दंड देते हुए मंदिर तक नवरात्र के आखिरी दिन आते हैं.

 

अद्भुत चमत्कार का भक्त करते हैं दावा 
मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है. चमत्कार के उदाहरण की बात की जाए, तो एक बच्चा गांव में मृत्यु की अवस्था में था. लेकिन मां के दरबार में आने के बाद जिंदा हो गया. इतना ही नहीं, भक्त यहां तक बताते हैं कि गंगा में डूब चुके व्यक्ति की तलाश में दरभंगा से आया एक परिवार ने जब मां के दरबार में हाजिरी लगाई, फिर घर से फोन आया कि जिसे आप खोज रहे हैं, वह तो घर पर आ चुका है. उल्टा खोजबीन कर रहे परिजनों के डूबने की ही आशंका जता दी. ऐसे कई दावों के साथ मां का दिव्य दरबार अद्भुत मान्यताओं को लेकर प्रसिद्ध है.

विश्व का सबसे ऊंचा मां का दिव्य दरबार 
मंदिर निर्माण को लेकर पुजारी भक्त और ग्रामीणों ने बताया कि यह मंदिर 11 महल का और 221 फीट ऊंचा है. ग्रामीण इस मंदिर को विश्व का सबसे ऊंचा दिव्य दरबार होने का दावा करते हैं. इसके इतने ऊंचा होने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. भक्तों ने बताया कि जिन लोगों मनोकामना पूरी हुई, सबने मिलकर मंदिर को इतना ऊंचा स्वरूप दे दिया. पूरे मंदिर के निर्माण में कहीं से भी मजदूर नहीं लाया गया. इस मंदिर निर्माण में गांव के रहने वाले आईपीएस गुप्तेश्वर पांडे ने भी मदद की थी.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *