नंदनवन जंगल सफारी के ‘‘प्रकृति दर्शन’’ कार्यक्रम में 7000 से अधिक विद्यार्थियों ने लिया भाग

रायपुर :  नंदनवन नया रायपुर द्वारा संचालित ‘‘प्रकृति दर्शन कार्यक्रम’’ के तहत  प्रदेश के 50 से अधिक स्कूल और 10 से अधिक कॉलेज के लगभग 7000 विद्यार्थियों ने भाग लिया है। प्रकृति दर्शन कार्यक्रम से विद्यार्थियों को प्रकृति और वन्यजीवों से जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना, पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है। नंदनवन जंगल सफारी में भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को न केवल प्रकृति और जैव विविधता के अद्भुत पहलुओं को समझने का अवसर मिलता है, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और उससे संबंधित चुनौतियों को भी समझने का मौका मिलता है।

अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का लिया जा रहा है सहयोग: नंदनवन द्वारा अज़ीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी फाउंडेशन फॉर द लॉजिकल सिक्योरिटी और अन्य संस्थाओं के सहयोग से फारेस्ट ऑफ़ लाइफ थीम तथा विद्यार्थियों के लिए पर्यावरण शिक्षा अंतर्गत विभिन्न मोड्यूल तैयार किए गए है।  

यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को अनुभवी प्राकृतिक विशेषज्ञों और वन्यजीव संरक्षणविदों से प्रत्यक्ष रूप से सीखने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह कार्यक्रम युवाओं में प्रकृति के प्रति लगाव विकसित कर उन्हें पर्यावरणीय समस्याओं और उनके समाधान की दिशा में प्रेरित करता है। नंदनवन जंगल सफारी का यह प्रयास पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है और भावी पीढ़ियों को प्रकृति से जोड़ने का एक ठोस कदम है। इस कार्यक्रम के लिए स्कूली छात्रों के लिए 50 रूपए एवं कॉलेज के छात्रों के लिए 100 रूपए निर्धारित किया गया है।

नंदनवन के संचालक धम्मशील गणवीर ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि इस कार्यक्रम से अधिक से अधिक विद्यार्थियों को जोड़ा जाए और उन्हें प्रकृति के महत्व को समझने व उसके संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जाए। हमारा यह प्रयास न केवल पर्यावरणीय चेतना को प्रोत्साहित करता है, बल्कि एक हरित और स्थायी भविष्य के निर्माण में योगदान देने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

इस कार्यक्रम के साथ जुड़ने क़े लिए नंदनवन के पर्यावरण शिक्षा कोऑर्डिनेटर चन्द्रमणी साहू +91-8120855525, +91-9302325664, +91-9893108393 से संपर्क किया जा सकता है।

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