राज्यसभा सीट के लिए संगठन में लामबंदी शुरु

कई भाजपा नेता राजनीतिक पूर्नवास की जुगाड़ में लगे

भोपाल । केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद भाजपा में रिक्त होने वाली राज्यसभा की सीट के लिए जोर अजमाइश शुरु हो गई है। प्रदेश नेतृत्व की कोशिश है कि राज्य के ही किसी नेता को प्रदेश के कोटे की सीट से राज्यसभा भेजा जायेगा। इस सीट के लिए अप्रत्यक्ष रूप से लामबंदी शुरु हो गई है। राज्यसभा के लिए टिकट से वंचित हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, पूर्व सांसद केपी यादव के साथ-साथ पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी राज्यसभा के माध्यम से राजनीति में पुर्नवास की कोशिश कर रहे हैं। राज्यसभा की रिक्त हुई सीट किसे दी जाये इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है।वर्तमान राजनीतिक परिस्थतियों में समीकरण साधने के लिए प्रदेश के किसी बाहरी व्यक्ति को भी राज्यसभा की सीट दी जा सकती है।इससे पहले शीर्ष नेतृत्व इस तरह के निर्णय ले चुका है।
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया अच्छे मतों के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। सिंधिया को केंद्रीय मंत्री मंडल में स्थान मिला है। सिंधिया लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने से पहले राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगें। सिंधिया लगभग दो साल राज्यसभा सदस्य रहे हैं। कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आने के बाद वे दोनों सदनों के सदस्य नहीं थे।उन्हें केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने के बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया था।

मिश्रा, पवैया व यादव की दावेदारी

राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट के लिए अभी से लामबंदी शुरु हो गई है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की कोशिश होगी कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उनका राज्यसभा के माध्यम से राजनीतिक पूर्नवास हो जाये। डा मिश्रा ने लोकसभा चुनाव में दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं व नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने में अहम भूमिका निभाई थी।उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़़ में भी है, लेकिन वीडी शर्मा की दिल्ली शिफ्टिंग नहीं होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर फिलहाल की स्थिति में कई किंतु-परंतु जुड़ गये है। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया व पूर्व सासंद केपी यादव भी राज्यसभा के प्रबल दावेदार माने जाने जा रहे हैं। पूर्व में राज्यसभा के लिए पवैया का नाम चलाता था।केपी यादव को शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण सम्मान देेने का वादा किया है।

शेजवलकर का भी होना है पुर्नवास

लोकसभा टिकट तो विवेक नारायण शेजवलकर का भी कटा था।संगठन में चर्चा है कि उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा सकता है।वे संघ के नजदीकी हैं, और धैर्यवान भी हैं। वे विधायक, महापौर, सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। अब तक उन्हें किसी सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है।

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