मुख्यमंत्री के साथ जिलाध्यक्ष और विधायकों की बैठक होगी भोपाल में
भोपाल । सभी तरह के चुनाव निपट जाने के बाद मोहन सरकार ने विधायकों से कहा है कि उन्होंने चुनाव में जनता से जो वादे किए थे, उनको पूरा करने के लिए जुट जाएं। सभी विधायकों से उनके विधानसभा क्षेत्र में किए जाने वाले कामों का रोडमैप बनाने के लिए कहा है, जिसके अनुसार राशि आवंटित की जा सके। जल्द ही इसको लेकर भोपाल में जिला स्तर पर एक बैठक होने वाली है, जिसमें संगठन के मुखिया भी मौजूद रहेंगे।
चुनाव के दौरान उम्मीदवार कई प्रकार के वादे करते हैं। चुनाव जीत जाने के बाद या तो वे वादे भूल जाते हैं या फंड की कमी के कारण उन वादों को अटका दिया जाता है। इसी को लेकर सारी कवायद की जा रही है, ताकि जनता के सामने किए गए वादों को पूरा किया जा सके और कोई यह नहीं बोल सके कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने झूठे वादे किए थे। इसको लेकर भाजपा के प्रदेश संगठन ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी और जिलों के अध्यक्ष भी शामिल हुए थे। बैठक में संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब सभी चुनाव हो चुके हैं और जनता के बीच जाकर हमें काम करना है। साथ ही यह भी बताना है कि भाजपा के जनप्रतिनिधि कितने सक्रिय हैं। बैठक में पार्टी नेतृत्व ने यह भी कहा कि संगठन और सरकार मिलकर काम करें, जिससे प्रदेश में अच्छा संदेश जाए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी जिलाध्यक्षों से कहा कि उन्होंने जो वादे किए थे, उनकी जानकारी एकत्रित करें और उसका एक रोडमैप बनाएं। क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर किए जाने वाले कार्यों को पहले रखें। सभी प्रकार के कामों के प्रस्ताव तैयार रखें। भोपाल में जल्द ही जिला स्तर पर बैठकें रखी जाएंगी, जिनमें उस क्षेत्र के विधायक और संगठन के जिलाध्यक्ष शामिल होंगे। इन प्रस्तावों में कितने फंड की आवश्यकता है, उसको लेकर बजट तैयार किया जाएगा। वहीं विधायक निधि से किए जाने वाले कामों की भी समीक्षा होगी।
बैठक के पहले मनेगा आनंदोत्सव
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक के पहले प्रदेश के सभी विधायकों को भोपाल बुलाया जाएगा। उनके साथ उनके जिलों के अध्यक्ष भी रहेंगे। पार्टी कार्यालय या अन्य किसी जगह एक बड़ा कार्यक्रम आनंदोत्सव के रूप में रखा जाएगा, जिसमें लोकसभा में जीत का जश्न मनाया जाएगा।
नीचे तक पहुंचाओ विधायक और सांसद निधि
प्रदेश संगठन और सरकार ने कहा है कि जो राशि विधायक और सांसदों को मिलती है वो वार्ड और पंचायत स्तर पर पहुंचाई जाए। राशि का ऐसा वितरण करें कि पंच, सरपंच और पार्षद अपने-अपने क्षेत्र में कोई बड़े काम करवा सकें। पिछली बार भी सांसदों ने 10 लाख और विधायकों ने 5 लाख रुपए की राशि दी थी, जिससे निचले स्तर पर कई काम हुए हैं।