कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार में दो शक्तिशाली गुट है।
एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया करते हैं। वहीं दूसरे के नेता उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार हैं। ऐसी खबर है कि वरिष्ठ मंत्रियों के एक चुनिंदा समूह की डिनर पर बैठक हुई।
मंत्रियों में अधिकांश अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों से थे। इसके साथ ही अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि इस गुट ने डीके शिवकुमार के अलावा और भी उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति के लिए आलाकमान पर दबाव बनाने की कोशिश है।
4 जनवरी को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर भी एक बैठक आयोजित की गई थी। उस बैठक को डीके शिवकुमार को उनके पद पर बनाए रखने के लिए दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
ताजा बैठक डीके शिवकुमार के खिलाफ 2019 के भ्रष्टाचार मामले में हालिया घटनाक्रम के बीच आयोजित की गई थी। डिप्टी सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी की सहमति वापस लेने के सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने अपील की है।
अक्टूबर 2023 में गृह मंत्री जी परमेश्वर के आवास पर आयोजित बैठक के विपरीत इस बार की बैठक में सीएम सिद्धारमैया ने भाग नहीं लिया।
इसमें परमेश्वर, समाज कल्याण मंत्री एच सी महादेवप्पा, खाद्य मंत्री के एच मुनियप्पा के साथ-साथ सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना, जारकीहोली, जो वाल्मिकी नायक और स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने भाग लिया था।
इनमें से अधिकतर मंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं। बैठक के बाद, मंत्रियों ने संकेत दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव और अतिरिक्त डिप्टी सीएम की नियुक्तियों सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
जारकीहोली ने शुक्रवार को कहा, “हमने हमारे सामने चुनौतियों पर चर्चा की। लोकसभा चुनाव, पार्टी संगठन, पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रमुखता देने की जरूरत पर भी बात की।
हमने दलित सीएम के मुद्दे पर बात नहीं की। 28 जनवरी को चित्रदुर्ग में दलितों का सम्मेलन है और उसके बाद फरवरी में दावणगेरे में एससी/एसटी की बैठक है।” जारकीहोली ने कहा कि उन्होंने और अन्य लोगों ने अतिरिक्त डिप्टी सीएम की नियुक्ति की सिफारिश की थी और मामला कांग्रेस आलाकमान के समक्ष है।
उन्होंने कहा, “सहकारिता मंत्री राजन्ना ने कई मौकों पर अधिक डिप्टी सीएम रखने का मुद्दा उठाया है। यहां तक कि हमने इसकी अनुशंसा भी की है।
अंततः हमारी पार्टी के नेताओं को यह तय करना होगा कि हमने क्या कहा है। हम सभी को फैसले का इंतजार करना होगा। इस पर आलाकमान से मिलने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।” राजन्ना ने कहा था कि उनका विचार है कि कांग्रेस का समर्थन करने वाले जाति समूहों से अधिक डिप्टी सीएम की नियुक्ति से पार्टी को लोकसभा चुनाव में फायदा होगा
उन्होंने कहा था, “मैं किसी नेता की ओर से नहीं बोल रहा हूं। मेरा मानना है कि अगर तीन डिप्टी सीएम नियुक्त किए जाते हैं तो इससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को फायदा होगा। यह पार्टी को तय करना है। वे मेरे सुझाव के आधार पर कोई निर्णय नहीं लेंगे, लेकिन मैंने यह बात उनके ध्यान में ला दी है।”
उन्होंने भाजपा द्वारा तीन प्रमुख राज्यों में कई डिप्टी सीएम की नियुक्ति के हालिया उदाहरणों का हवाला दिया।
आपको बता दें कि पिछले साल राजन्ना ने कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखकर अपने समर्थन को मजबूत करने के लिए दलित, एसटी और लिंगायत समुदायों से डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर विचार करने के लिए कहा था।
परमेश्वर ने डिप्टी सीएम के मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि 4 जनवरी की बैठक में एससी और एसटी समुदायों के मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, ”हम यह खुलासा नहीं कर सकते कि बैठक में क्या हुआ क्योंकि मीडिया ने ही इसे गुप्त बैठक करार दिया है। इनमें से एक मुद्दा विधानसभा चुनाव से पहले हमारे द्वारा आयोजित एससी/एसटी सम्मेलन से संबंधित था और चित्रदुर्ग घोषणा नामक लगभग 10 प्रस्ताव थे। हम इन प्रस्तावों के कार्यान्वयन पर चर्चा करना चाहते थे।”
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