गेहूं उपार्जन में पिछड़ा मप्र

लक्ष्य 100 लाख मीट्रिक टन का खरीदी 50 लाख मीट्रिक टन ही

भोपाल। गेहूं उपार्जन के मामले में इस बार मध्य प्रदेश पिछड़ गया है। 80 लाख मीट्रिक टन की तुलना में अब तक करीब 50 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी ही हो पाई है। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि गेहूं खरीदी की तारीख बढ़ाने से खरीदी का टारगेट पूरा हो सकेगा। मध्य प्रदेश में गेहूं उपार्जन के लिए मंडी स्तर पर 311 उपार्जन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों से 25 जून तक गेहूं की खरीदी होगी। 2024-25 में खरीद सीजन के लिए प्रदेश सरकार एमएसपी से अधिक दर से गेहूं खरीद रही है। केंद्र की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल तया किया गया है, जबकि प्रदेश सरकार 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस दे रही है। इस हिसाब से प्रदेश के किसानों से गेहूं 2400 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदा जा रहा है। इसके बाद भी गेहूं खरीदी में मध्यप्रदेश पिछड़ता नजर आ रहा है। एमपी सरकार ने 80 लाख टन खरीदी का लक्ष्य तय किया है और वास्तविक खरीदी अब तक 50 लाख मीट्रिक टन ही हो पाई है। 11 जून तक उपार्जन केंद्रों में 48 लाख 39 हजार 202 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई। गेहूं खरीदी 6 लाख 16 हजार 254 किसानों से की गई। सरकार की ओर से किसानों को 11 हजार 427 करोड़ 57 लाख का भुगतान किया गया था।

 

मार्च में शुरू हो गई थी खरीदी

खरीदी का लक्ष्य तय होने के बाद मध्यप्रदेश में इस बार मार्च में ही गेहूं की सरकारी खरीद शुरू कर दी गई थी। शुरुआत में गति धीमी रही, लेकिन पिछले चार सप्ताह के दौरान रफ्तार कुछ बढ़ी। अभी भी लक्ष्य की तुलना में खरीदी कम हुई है।

 

गेहूं खरीदी पर सियासत

इस मामले में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार के पास गेहूं खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए किसानों से गेहूं नहीं खरीदा गया। वहीं बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की चिंता सभी को लेकर है। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार पीएम बनते ही सबसे पहले किसानों की फाइल पर साइन किया है।

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