कांग्रेसी से भाजपा में आए नेताओं को निगम-मंडलों में होगी पदस्थापना

भविष्य की रणनीति के तहत पार्टी की रणनिति

भोपाल । विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसी नेताओं को अब पार्टी पद की प्रतिष्ठा देकर उपकृत करेगी। इसी के तहत विजयपुर विधायक रामनिवास रावत को डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट में शामिल किया गया है। अब भविष्य की रणनीति को देखते हुए कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए अन्य नेताओं को भी ओहदेदार बनाया जाएगा।
गौरतलब है कि पहले विधानसभा और बाद में लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा का मानना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली जीत में इन बागी कांग्रेसी नेताओं का भी बड़ा योगदान है। इसलिए अब भाजपा ने इन नेताओं को उपकृत करने की योजना बनाई है। भाजपा सूत्रों के अनुसार अब निगम-मंडल और सहकारी संस्थाओं में नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा। इसके लिए भाजपा संगठन और सरकार ने रणनीति बना ली है।

 

पचौरी और दीपक सक्सेना होंगे उपकृत


कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए नेताओं को भाजपा ने उपकृत करना शुरू कर दिया है। विजयपुर विधायक रामनिवास रावत से इसकी शुरूआत कर दी गई है। अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद कांग्रेस से आए कुछ और नेताओं को निगम-मंडल, आयोगों में पद दिए जाएंगे। संगठन में इसे लेकर मंथन चल रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना ऐसे नेता हैं जिन्हें जल्द ही उपकृत किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य नेताओं को संगठन में भी एडजस्ट किया जा सकता है। कार्यसमिति की बैठक में पचौरी को दिया मंच पर स्थान कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को रविवार को हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंच पर स्थान दिया गया। प्रदेश में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ कि कांग्रेस से आए किसी नेता को प्रदेश कार्यसमिति जैसी बड़ी बैठक में इस तरह से सम्मान दिया गया हो। पचौरी को मंच पर बैठाकर भाजपा ने कांग्रेस से आए नेताओं को साफ संदेश दिया है कि उनका सम्मान बरकरार रहेगा।

 

भाजपा की जीत में बागियों का योगदान


लोकसभा चुनाव में भाजपा को जो ऐतिहासिक जीत मिली है उसमें कांग्रेस से आए बागियों का अहम योगदान था। लोकसभा चुनाव के बाद से संगठन की बैठकों में अब इन नेताओं से किए गए वादों को पूरा करने पर विचार किया जा रहा है। दरअसल विधानसभा के बाद अधिकांश नेता अपनी मर्जी से भाजपा में शामिल हुए थे पर कुछ दिग्गज नेताओं को भाजपा ने लोकसभा में अपने मिशन 29 का लक्ष्य पूरा करने के लिए उनसे सम्पर्क कर उन्हें भाजपा से जोडऩे का काम किया था। रामनिवास रावत ऐसे ही नेताओं में एक थे। मुरैना में भाजपा ने शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान में उतारा था। उनके मुकाबले कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया था। दोनों नेताओं के क्षत्रिय वर्ग से होने के कारण भाजपा को पिछड़े वर्ग के मतों की चिंता थी। यहां मुकाबला भी बेहद कांटे का था। लिहाजा भाजपा ने छह बार के विधायक और क्षेत्र में ओबीसी वर्ग के बड़े नेता माने जाने वाले रामनिवास रावत से सम्पर्क किया। रावत खुद को नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने के कारण कांग्रेस नेतृत्व से पहले से नाराज चल रहे थे। सूत्रों की माने तो उन्हें मंत्री पद का आफर दिया गया। इसके लिए केन्द्रीय नेतृत्व से भी बात की गई। ऊपर से हरी झंडी मिलते ही रावत को भाजपा को भाजपा ज्वाइन करा दी गई। रावत ने तीस जुलाई को मुख्यमंत्री की एक सभा के दौरान भाजपा का दामन थामा। भाजपा को अपनी इस रणनीति का फायदा भी मिला। कांटे की टक्कर वाली मुरैना सीट भाजपा ने जीत ली।

 

उपचुनाव के बाद बंटेंगी कुर्सिया

माना जा रहा है कि अमरवाड़ा उपचुनाव निपटते ही कांग्रेस से आए कई नेताओं को भाजपा किसी न किसी पद से नवाज सकती है। इनमें सुरेश पचौरी और छिंदवाड़ा के पूर्व विधायक दीपक सक्सेना प्रमुख हैं। दशकों तक कमलनाथ के बेहद करीबी माने जाने वाले दीपक सक्सेना ने भी लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। वे इन दिनों अमरवाड़ा में भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं। अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद इन नेताओं का सम्मानजनक पुनर्वास तय है। इसके अलावा आने वाले दिनों में सहकारिता चुनावों में भी कांग्रेस से आए नेताओं को जिले से लेकर प्रदेश में एडजस्ट करने की योजना पर काम हो रहा है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के नेताओं का एक-एक करके भाजपा में आना शुरू हो गया था। उस समय थोक में नेता भाजपा में शामिल हुए थे। इनमें कई पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, नगरनिगम के मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष समेत कई शहरों के कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल थे। तब भाजपा ने इन नेताओं को भरोसा दिलाया था कि पार्टी में उनके सम्मान का ख्याल रखा जाएगा।

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