झारखंड में ‘कुंभ मेला’, यहां 18 पहिए और 7 घोड़े के रथ पर सवार हैं सूर्यदेव, देश-विदेश से आते हैं पर्यटक

झारखंड राज्य में स्थित सूर्य मंदिर एक ऐसा स्थान है. जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. इस मंदिर की अनूठी बनावट और पौराणिक कथाओं ने इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध बना दिया है. यहां हर साल हजारों पर्यटक देश-विदेश से आते हैं. इस अद्भुत स्थान का दौरा करते हैं.झारखंड का सूर्य मंदिर रांची से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर रांची-टाटा रोड पर स्थित है. यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है. इसे 1991 में बनाया गया था. इसका निर्माण स्वर्णरेखा नदी के किनारे किया गया है. जो इसे और भी अधिक पवित्र बनाता है.

बेहद अनूठी है वास्तुकला
पंडित मोहित मुखर्जी ने बताया कि सूर्य मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अद्वितीय और आकर्षक है. यह मंदिर 18 पहियों और 7 घोड़ों के रथ के आकार में बनाया गया है. जो सूर्यदेवता के रथ का प्रतीक है. इस मंदिर का मुख्य भवन 100 फीट ऊंचा है. इसे लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. जो इसे और भी खूबसूरत बनाता है.

ये है पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देवता को भगवान विष्णु के एक अवतार के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. यहां पर सूर्य देवता की मूर्ति स्थापित है. जिसे भक्तगण सुबह-सुबह सूर्योदय के समय पूजते हैं. सूर्य मंदिर में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जिसे कुंभ मेला के नाम से जाना जाता है. इस मेले में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं और इस पवित्र स्थान पर स्नान और पूजा करते हैं. पर्यटकों के आकर्षण
झारखंड का सूर्य मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. बल्कि, यह पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करता है. यहां की हरी-भरी वादियां और स्वर्णरेखा नदी का किनारा एक शांत और सुकून भरा वातावरण प्रदान करता है.
 

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