JMM स्थापना दिवस 2025: शिबू सोरेन ने कैसे आदिवासी समाज के लिए बनाई पार्टी?

धनबाद: झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) आज 04 फरवरी को अपना 46वां स्थापना दिवस मना रही है. इस अवसर पर पार्टी पूरे प्रदेश में भव्य कार्यक्रम करने वाली है. इनमें से कई कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल होंगे. इसी कड़ी में धनबाद के गोल्फ मैदान में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. झारखंड के सीएम एवं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन समारोह में शिरकत करेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई हैं. यह कार्यक्रम इसलिए खास क्योंकि शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और एके राय की तिकड़ी ने 04 फरवरी 1972 को धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में ही पार्टी की स्थापना की थी.

झारखंड राज्य के लिए मिलकर किया संघर्ष
70 के दशक में जमींदारों और सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले शिवलाल मांझी (शिबू सोरेन) आदिवासी समाज के बीच अपनी अलग पैठ बना चुके थे. तो वहीं बिनोद बिहारी महतो शिवाजी समाज के नाम से कुड़मी जाति के बीच जागरूकता अभियान चला रहे थे. इसी तरह से वामपंथी विचारधारा के नेता एके राय कोलियरी क्षेत्र में मजदूरों के बीच काफी लोकप्रिय थे. अलग झारखंड राज्य की लड़ाई को धारदार बनाने के लिए ये तीनों दिग्गज एक साथ आए और तीनों ने मिल कर झामुमो की स्थापना की. हालांकि, बाद में एके राय ने अलग होकर मासस का गठन किया.

पिता की हत्या ने मोड़ा समाजसेवा की ओर
राजनीति के जानकार बताते हैं कि शिबू सोरेन को एक दुखद घटना ने समाजसेवा की ओर मोड़ दिया था. दरअसल, उनके पिता सोबरन मांझी एक शिक्षक थे. वे गरीब आदिवासियों को शिक्षित करने के साथ-साथ उनको महाजन के कर्ज के बोझ से भी बचाते थे. महाजन अगर किसी आदिवासी को कर्ज देकर उसकी जमीन हड़प लेते थे तो सोबरन मांझी इसका कड़ा विरोध करते थे. इसी कारण सोबरन सोरेन की बड़ी निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. इस घटना के वक्त शिबू सोरेन सिर्फ 13 साल के थे. पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन ने महजनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और धनकटनी आंदोलन शुरू किया. जिसमें वे और उनके साथी जबरन महजनों की धान काटकर ले जाया करते थे. यहीं से उन्होंने आदिवासी समाज में अपनी पकड़ बनाई थी.

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