झारखंड में ईडी, सीबीआइ समेत सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों को अब प्रदेश सरकार के किसी अफसर-कर्मचारी या मंत्री-विधायक के खिलाफ जांच के पहले राज्य से लिखित अनुमति लेनी होगी।
झारखंड सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के विरुद्ध कानूनी कवच के रूप में झारखंड कार्यपालिका नियमावली, 2000 में संशोधन किया है। इसके दायरे मे सभी केंद्रीय एजेंसियां आएंगी। बुधवार को झारखंड कैबिनेट की बैठक में नियमावली में संशोधन को स्वीकृति दे दी गई।
ईडी को राज्य सरकार को सूचित करना पड़ेगा
पिछले दिनों झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव कुमार के कार्यालय की जांच करने के बाद जब ईडी ने कई सरकारी अफसरों को जांच के लिए समन किया था, तब झारखंड सरकार ने यह आदेश निकाला था कि किसी पदाधिकारी को जांच के लिए बुलाने से पूर्व ईडी को राज्य सरकार को सूचित करना पड़ेगा।
आदेश में यह भी कहा गया कि ईडी किसी पदाधिकारी को गवाही के लिए बुलाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति ले। हालांकि, इन दोनों आदेशों को मानने से ईडी ने साफ इनकार कर दिया था। साथ ही राज्य सरकार के उक्त आदेश पर सवाल भी उठा दिया था।
केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को नियंत्रित कर सकेंगे राज्य
अब झारखंड सरकार ने नियमावली में संशोधन कर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को इस संदर्भ में शक्ति प्रदान कर उसे कानूनी रूप दिया है। संशोधन इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इसके जरिये सरकार ईडी और सीबीआइ जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकेगी।
बताते चलें कि सीबीआइ डीएसपीई एक्ट 1946 से नियंत्रित होती है। इस कानून की धारा पांच के अनुसार राज्य सरकार से संबंधित किसी मामले में जांच करने के लिए सीबीआइ को राज्य सरकार की अनुमति प्राप्त करनी होगी।
कई राज्यों में सीबीआइ की एंट्री पर प्रतिबंध
वहीं, ईडी पीएमएलए एक्ट से नियंत्रित होती है। अब तक कई राज्यों ने सीबीआइ की एंट्री पर अपने यहां प्रतिबंध लगा रखा है। अब तक जांच के लिए जिन राज्यों में लिखित अनुमति लेनी पड़ती थी, वहां विपक्षी पार्टियों की सरकार है। हालांकि, हाल ही में भाजपा शासित मध्य प्रदेश ने भी राज्य सरकार से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआइ को कार्रवाई से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य किया है।