नई दिल्ली। भारत से मिस्र को अब मीट और पॉल्ट्री समेत डेरी और अन्य फूड प्रोडक्ट्स का निर्यात करना आसान हो जाएगा। भारत से निर्यात किए जाने वाले मीट और पॉल्ट्री प्रोडक्ट हलाल स्टैंडर्ड के हो। इसके लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मिस्र ने यह तय करने के लिए बीते दिनों भारत में एक कार्यालय खोलने का फैसला किया है। इसकी घोषणा भारत में मिस्र के राजदूत वील मोहम्मद अवाद हमेद ने की है।
मिस्र के राजदूत ने कहा कि अब हलाल सर्टिफिकेशन के लिए भारत में एजेंसी खुल चुकी है। यह एजेंसी पूरे भारत में अपनी सेवाएं देगी। फिलहाल यह एजेंसी हलाल मीट और पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स का सर्टिफिकेशन करेगी बाद में इसमें डेरी और फार्मा भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत के मीट निर्यातकों के पास सुनहरा मौका है कि वे मिस्र को निर्यात किए जाने वाले मीट की मात्रा बढ़ा सकते हैं। मिस्र में इस समय भारत सबसे बड़ा मीट भेजने वाला निर्यातक है। मिस्र के राजदूत ने बताया कि इस समय मिस्र में जितना मीट जाता है, उसमें अभी भारतीय मीट की मात्रा 75 से 80 फीसदी है। हमें उम्मीद है कि भारत मीट के कारोबार को 85 से 90 फीसदी तक बढ़ाना चाहेगा। अगर इसे 100 फीसदी तक पहुंचाना चाहते हैं, तो मिस्र सरकार की तरफ से पूरा सहयोग किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मिस्र की 99 फीसदी आबादी मांसाहारी है।
भारत ने 2023 में मिस्र को 630 मिलियन डॉलर करीब 5,000 करोड़ रुपए का मीट एक्सपोर्ट किया था। इससे पहले 2022 में यह 600 मिलियन डॉलर का था। इसमें हर साल बढ़ोतरी हो रही है। मिस्र भारत के अलावा ब्राजील, अमेरिका, यूरोप, जर्मनी आदि देशों से भी मीट मंगवाता है। मिस्र की भारत में हलाल सर्टिफिकेशन एजेंसी हलाल मार्केट इंडिया के सीईओ डॉ. गासर अलसईद ने बताया कि साल 2020 से पहले वहां कोई हलाल सर्टिफिकेशन जरुरी नहीं था। उस समय भरोसे पर मीट खरीदा जाता था लेकिन कुछ गड़बड़ी होने की वजह से हलाल सर्टिफिकेशन को 2020 में लागू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए कोई फेसिलिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। सिर्फ मिस्र सरकार द्वारा घोषित प्राइस लिस्ट लागू होगी। यदि कोई एक्सपोर्टर 40 फुट वाले किसी कंटेनर, जिसमें 28 टन मीट हो का सर्टिफिकेशन कराना चाहता है तो उसे 2250 डॉलर का शुल्क चुकाना होगा।