रिटायरमेंट के बाद फंड और पेंशन का लाभ कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में मिलता है। इस स्कीम का संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा किया जाता है। ईपीएस स्कीम में कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी का फिक्सड अमाउंट निवेश करते हैं। कर्मचारी के साथ कंपनी द्वारा भी योगदान किया जाता है।
यह स्कीम रिटायरमेंट के बाद मैच्योर हो जाता है। जब स्कीम मैच्योर होती है तो फंड का एक हिस्सा एकमुश्त मिलता है बाकी पेंशन के तौर पर मासिक दिया जाता है। वैसे तो कई लोगों को ईपीएस के पेंशन का लाभ रिटायरमेंट के बाद ही मिलता है। लेकिन, कई कर्मचारी इस बात से अनजान है कि ईपीएस स्कीम में जॉब के साथ-साथ भी पेंशन का लाभ मिलता है। हम आपको इसी के बारे में बताएंगे।
हर महीने कितने करना होता है योगदान
कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफओ में देता है। इस 12 फीसदी में से 8.3 फीसदी पीएफ अकाउंट (PF Account) में जमा होता है और बाकी 3.67 फीसदी ईपीएस स्कीम में जमा होता है। ईपीएस में जमा राशि ही मैच्योर होने के बाद पेंशन के तौर पर दी जाती है।
जॉब के साथ कब मिलती है पेंशन
ईपीएफओ के नियम (EPFO Rule) के अनुसार ईपीएस पेंशन का लाभ कर्मचारी को तब मिलता है जब वह लगातार 10 साल तक निवेश करते हैं। इसके अलावा जब कर्मचारी की आयु 50 साल से ज्यादा हो जाती है तो वह पेंशन के लिए क्लेम कर सकता है। अगर कर्मचारी ने 10 साल तक ईपीएस स्कीम में योगदान दिया पर उसकी आयु 50 साल से कम है तो वह पेंशन के लिए क्लेम नहीं कर सकता है।
अर्ली पेंशन में कम मिलती है पेंशन
अगर कर्मचारी की आयु 50 से 58 साल के बीच की है और वह रिटायरमेंट से पहले पेंशन क्लेम करता है तो उसे पेंशन की राशि कम मिलेगी। दरअसल, ईपीएफओ के नियम के अनुसार अर्ली पेंशन में हर साल 4 फीसदी की कटौती होती है।
इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी व्यक्ति की आयु 52 है और वह अर्ली पेंशन के लिए क्लेम करता है तो उसे अभी पेंशन अमाउंट में से केवल 76 फीसदी ही मिलेगा। इसकी वजह है कि पेंशन प्राप्त करने की आयु 58 साल है और वह 6 साल पहले ही पेंशन के लिए क्लेम कर रहा है। ऐसे में 4 फीसदी सालाना दर के हिसाब से 6 साल में पेंशन अमाउंट में 24 फीसदी की कटौती होगी।