तेहरान। ईरानी विदेश मंत्रालय ने हालिया घटनाक्रमों के लिए पक्षपातपूर्ण रुख अपनाने पर ऑस्ट्रेलिया के राजदूत को तलब किया है। यह कदम ईरान ने तब उठाया जब ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीज ने इजराइल पर ईरान के मिसाइल अटैक की निंदा की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के विपक्षी नेता ने ऑस्ट्रेलिया में ईरानी राजदूत को निष्कासित करने की मांग की थी।
रिपोर्ट में ईरानी विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया और ओशिनिया विभाग के महानिदेशक अली असगर मोहम्मदी ने बैठक में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के अनुचित और पक्षपातपूर्ण रुख का विरोध किया। उन्होंने गाजा और लेबनान में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों के प्रति ऑस्ट्रेलिया की चुप्पी साधे रहने की आलोचना की। उन्होंने इजरायल द्वारा गाजा में नरसंहार और लेबनान में हमलों को तत्काल रोकने की ईरान की अपील दोहराई और ऑस्ट्रेलिया और इजराइल के अन्य पश्चिमी समर्थक देशों से जिम्मेदार भूमिका निभाने का आह्वान किया।
इससे पहले ईरान के विदेश मंत्रालय ने जर्मन और ऑस्ट्रियाई राजदूतों को भी तलब किया था, जब इन देशों ने ईरानी दूतों को बुलाकर इजराइल पर तेहरान के मिसाइल अटैक का विरोध जताया था। 4 अक्टूबर को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजराइल पर तेहरान के हमलों को पूरी तरह से कानूनी और वैध बताया था। 1 अक्टूबर की रात ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइल दागे थे।
तेहरान का कहना है कि यह बमबारी हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया, हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह और जनरल अब्बास निलफोरुशन की हत्याओं के जवाब में की गई थी। ईरान हमेशा से हमास और हिजबुल्लाह का समर्थन करता रहा है। ईरानी हमले के कुछ घंटों बाद इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने सुरक्षा कैबिनेट की बैठक के दौरान कहा था कि ईरान ने आज रात एक बड़ी गलती की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसको लेकर पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। कहीं यह लड़ाई बड़ी ना हो जाए।