रत्न भंडार की मरम्मत का काम होगा
भुवनेश्वर । ओडिशा में भगवान जगन्नाथ मंदिर का खजाना खोलने को लेकर काफी समय से मांग हो रही थी। यह खजाना अब से पहले 1985 में खोला गया था। 46 साल बाद बीते 14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खुला। इसके लिए ओडिशा की भाजपा सरकार की एसओपी के मुताबिक खास तैयारियां की गई थीं।
रत्न भंडार के तहखाने की चाबियां खो गई थीं, इसलिए ताले तोड़कर नए ताले डाल दिए गए थे। इसके बाद 18 जुलाई को फिर रत्न भंडार खोला गया। रत्न भंडार में 11 सदस्यों की टीम करीब 7 घंटे तक रही। सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ ने कहा कि पहले रत्न भंडार की मरम्मत का काम होगा। भगवान से प्रार्थना करे कि ये काम जल्द से जल्द हो जाए।
पिछली बार साल 1985 में तहखाने को खोला गया था। राजाओं के मुकुट से लेकर खजानों से भरी तिजोरियां देखने को मिली थीं। दरअसल, रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने-पीने के बर्तन रखे हुए हैं। खजाने में वे चीजें हैं, जो उस दौर के राजाओं और भक्तों ने मंदिर में चढ़ाए थे। 12वीं सदी के बने मंदिर में तब से ये चीजें रखी हुई हैं। इस भंडारघर के दो हिस्से हैं, एक बाहरी और भीतरी भंडार।
गोपनीय रहेगी खजाने की जानकारी
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बताया कि रत्न भंडार के अंदर के चैंबर से सभी कीमती सामान एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट हो गए हैं। इनमें लकड़ी और स्टील की अलमारी और संदूक सहित सात कंटेनर शामिल थे। एसओपी के अनुसार भीतरी कक्ष और अस्थायी स्ट्रांग रूम दोनों को बंद कर सील कर दिया गया है। रथ ने कहा कि भीतरी कक्ष के अंदर आभूषण और कीमती सामान सात कंटेनरों में रखे गए, इनमें तीन लकड़ी की अलमारियां, दो लकड़ी की पेटियां और एक स्टील की अलमारी और एक लोहे की पेटी शामिल थी। सभी कीमती सामान नए कंटेनरों में रखा गया और स्ट्रांग रूम को सील कर दिया गया है। चाबियां पुरी कलेक्टर को दे दी गई हैं। चाबियां खजाने में रखी जाएंगी। खजाने के बारे में न्यायमूर्ति रथ ने कहा कि हमने आंतरिक कक्ष के अंदर जो कुछ देखा, वह गोपनीय है। जिस तरह कोई अपने घर में कीमती सामान का खुलासा नहीं करता, उसी तरह भगवान के खजाने को सार्वजनिक रूप से बताना अनुचित होगा।