नई दिल्ली । भारत और चीन के बीच समझौते के बाद, भारतीय सेना ने डेपसांग मैदानों में गश्त शुरू की। यह गश्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ समय में भारत-चीन संबंधों में तनाव कम करने का प्रयास हो रहा है। लेकिन गश्त सीमित रूप से की गई, और सभी पेट्रोलिंग पॉइंट पर भारतीय सैनिक नहीं पहुंच सके। लद्दाख में फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने बताया कि भारतीय और चीनी पक्षों के बीच सैनिकों की वापसी और गश्त शुरू करने के लिए सहमति, डेपसांग में गश्त का पहला दौर सफलतापूर्वक किया। हालांकि, यह बताया गया कि सेना उन सभी बिंदुओं पर गश्त नहीं कर पाई, जहां वह अप्रैल-मई 2020 में गतिरोध शुरू होने से पहले जाती थी।
इसका कारण यह हो सकता है कि भारतीय सेना अभी भी सुरक्षा चिंताओं और एलएसी पर चीनी सैनिकों की तैनाती के संदर्भ में सतर्कता दिखा रही है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमने कुछ प्रगति की है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले नहीं थे। 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है, जिससे चार साल से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते है।
इस बीच, जयशंकर ने उम्मीद जाहिर कि भविष्य में और भी कदम उठाए जा सकते हैं, और यह घटनाक्रम दोनों देशों के संबंधों को सामान्य करने में मदद कर सकता है। सामरिक दृष्टिकोण से, भारतीय सेना की गश्त की सीमितता सुरक्षा प्रबंधन का हिस्सा हो सकती है, ताकि स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण न बनाया जाए।