जापान में सोमवार को भूकंप के जोरदार झटके के बाद सुनामी आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सुनामी की लहरें 0.4 मीटर (1.3 फीट) ऊंची उठीं। इन लहरों के और ज्यादा ऊंचा उठने की आशंका है। पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में लोगों से तटीय इलाकों से जल्द से जल्द चले जाने को कहा गया है।
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने स्थानीय समयानुसार शाम 4 बजे इशिकावा के समुद्र तटों और आसपास के प्रांतों में भूकंप की सूचना दी, जिनमें से एक की तीव्रता 7.6 रही।
भूकंप के तेज झटके के बाद सुनामी के टकराने से लोग दहशत में हैं। 2011 में जापान में सुनामी ने जो तबाही मचाई थी, आज उसका दर्द ताजा हो गया है।
11 मार्च 2011 को जापान के पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर भूकंप के जोरदार झटके महसूस हुए, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 मापी गई। इसका केंद्र 24 किलोमीटर की गहराई पर था।
इतने तेज भूकंप ने पूर्वोत्तर जापान को हिलाकर रख दिया। इसके करीब 20 मिनट बाद ही सुनामी की लहरें उठीं और उत्तर के होककाइदो व दक्षिण के ओकीनावा द्वीप से टकराईं।
इस टक्कर ने वहां भारी तबाई मचाई। नेशनल पुलिस एजेंसी के मुताबिक, सुनामी की चपेट में आने से 15,000 से ज्यादा लोग मारे गए। 2,000 से ज्यादा लोग आज भी लापता सूची में शामिल हैं।
परमाणु संयंत्र में घुस गया समुद्र का खारा पानी
इतना ही नहीं, सुनामी की तेज लहरें फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली संयंत्र में भी घुस गईं। परमाणु संयंत्र में समुद्र का खारा पानी घुसने से रिएक्टर पिघलने लगे और धमाके शुरू हो गए।
संयंत्र से भारी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व लीक हुए जिससे परमाणु विकिरण होने लगा। जापान के अधिकारी कड़ी मशक्कत के बाद इस पर कुछ हद तक काबू पा सके जिसमें काफी समय लगा।
इसके बाद जापान ने अपने सभी परमाणु बिजली घर 3 साल के लिए बंद कर दिए। इस प्राकृतिक आपदा ने दुनिया को झकझोर रख दिया।
खासतौर से परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। इसे देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से कई सारे कदम उठाए गए।