भारत और अमेरिका की स्पेस रिसर्च एजेंसियों के बीच किसी प्रोजेक्ट पर संयुक्त रूप से काम करने की सहमति बनी थी।
लेकिन ऐसा लगता है कि यह इस साल तो संभव नहीं है।
गुरूवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भारतीय स्पेस एजेंसी, नासा ने अपने एक साल के आगामी प्रोजेक्ट्स की लिस्ट लोकसभा के पटल पर रखी, जिसमें अमेरिका और भारत के संयुक्त प्रोजेक्ट निसार अपनी जगह बनाने में नाकामयाब रहा।
N.I.S.A.R., जिसका पूरा नाम नासा-इसरो के नामों को मिलाकर रखा गया था। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक रडार का निर्माण किया जाना था।
इस रडार को नियमित रूप से पृथ्वी का बारीकी से निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किया जाना था।
यह उपग्रह इतना शक्तिशानी होना है कि एक ही जगह के बार- बार निरीक्षण करने पर एक सेंटीमीटर आकार के छोटे बदलावों को भी पकड़ सकता है।
इसलिए यह पृथ्वी की सतह पर होने वाली गतिशील प्रक्रियाओं, जैसे ग्लेशियरों का पीछे हटना, वनस्पतियों और वन के क्षेत्रफल में परिवर्तन, भूकंप और ज्वालामुखियों के दौरान होने वाली गतिविधियों पर भी नजर रखने में सक्षम होगा।
वैज्ञानिकों को यह उम्मीद भी है कि यह उपग्रह जलवायु परिवर्तन या प्राकृतिक खतरों के बारे में हमारी समझ को भी विकसित करने में मदद करेगा।
निसार को इस वर्ष की पहली छिमाही में लॉन्च किया जाना था, जिस के लिए दो रडार और कुछ अन्य चीजें को अमेरिका ले जाया गया जहां पर इसका कुछ हद तक निर्माण किया गया फिर कुछ दिनों पहले ही इस बेंगलुरु लाया गया था।
भारत में हुए परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि इसके किसी एंटीना में कुछ सुधार की आवश्यकता है, जिसके कारण इसे इस साल वापस अमेरिका ले जाया गया।
इस पर जवाब देते हुए इसरो ने कहा था कि इस साल के अंत तक सैटेलाइट के लॉन्च होने की संभावना हैं। लेकिन अब संसद में दिए जवाब से यह साफ हुआ है कि यह इस साल के प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है।
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