खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें निम्न आय वर्ग वालों के त्योहार का जायका खराब कर रही है। खाने-पीने की खरीदारी में अधिक खर्च होने से कम आय वाले उपभोक्ता वस्तुओं की खरीदारी को टाल रहे हैं और इसका असर फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएससीजी) की खरीदारी पर भी देखने को मिल सकता है।
त्योहार के दौरान आलू, प्याज, टमाटर, घी, तेल जैसी वस्तुओं का अधिक इस्तेमाल होता है और इन सबकी कीमतें पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक चल रही है। सब्जी के दाम तो पिछले साल की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक हो चुके हैं।
पिछले साल और इस साल अक्टूबर के थोक भाव
वस्तु | अक्टूबर 2023 (प्रति क्विंटल) | अक्टूबर 2024 (प्रति क्विंटल) |
आलू | 3,000 रुपये | 3,400 रुपये |
प्याज | 2,750 रुपये | 4,500 रुपये |
टमाटर | 2,400 रुपये | 8,000 रुपये |
सरसों तेल | 12,800 रुपये | 13,374 रुपये |
अरहर | 9,392 रुपये | 10,800 रुपये |
घी | 61,500 रुपये | 70,000 रुपये |
स्त्रोत: एजीमार्कनेट (सरकारी पोर्टल)
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर सितंबर में 9.24 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। मतलब पिछले साल सितंबर की तुलना में खाने-पीने की वस्तुएं 9.24 प्रतिशत महंगी हो चुकी है। इस साल अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 5.66 प्रतिशत थी।
कृषि वस्तुओं की रोजाना की थोक कीमतें दर्शाने वाली सरकारी साइट एजीमार्कनेट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल अक्टूबर में प्याज की थोक कीमतों में 2000 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा चल रहा है। आलू के थोक दाम में प्रति प्रति 400 रुपए तो टमाटर में 5600 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी है।
दाल की थोक कीमत भी पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस साल के अक्टूबर में 10 प्रतिशत का इजाफा है। अक्टूबर में विभिन्न प्रकार के गेहूं की औसत थोक कीमतों में 11-17 प्रतिशत की बढोतरी दिख रही है। त्योहार में सरसों तेल और घी का भी अधिक इस्तेमाल होता है और इन दोनों की कीमतें भी बढ़ी हुई है।
महंगाई से उपभोक्ता परेशान
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर में खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में वर्ष 2022 अक्टूबर की तुलना में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस साल सितंबर में खाद्य तेल की कीमतें 2.5 प्रतिशत बढ़ी हुई है। दाल की कीमतें लगातार बढ़ रही है और पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। दाल के दाम में पिछले साल अक्टूबर में ही 15 प्रतिशत से अधिक की तेजी थी।
जानकारों का कहना है कि देश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग प्रतिमाह सिर्फ 10-30 हजार रुपए तक कमाते हैं। ऐसे में त्योहार के दौरान उनकी कमाई का अधिक हिस्सा खाने-पीने पर ही खर्च हो जा रहा है।