सावन माह के पवित्र दिनों में जयपुर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. जयपुर अपने प्राचीन मंदिरों और उनकी विशेष मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है. इन्हीं में से एक है ताड़केश्वर महादेव मंदिर, जो शहर के चारदीवारी बाजार के चौड़ा रास्ता में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका इतिहास जयपुर की स्थापना से भी पहले का है.
16वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया ताड़केश्वर महादेव मंदिर राजस्थानी स्थापत्य और स्थानीय संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है. मान्यता है कि यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां कभी श्मशान घाट था और भारी संख्या में ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे, इसलिए इस मंदिर का नाम ताड़केश्वर महादेव पड़ा. जयपुर के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त विशेष मान्यता के कारण दर्शन के लिए आते हैं.
यहां 51 किलों से अभिषेक करने की हैं मान्यता
आपको बता दें सभी शिवालयों और मंदिर में भगवान शंकर को पानी और दूध से अभिषेक किया जाता हैं लेकिन ताड़केश्वर महादेव मंदिर में विशेष रूप से 51 किलों घी से भगवान शंकर के ज्योतिलिंग को अभिषेक करने की मान्यता हैं, जो वर्षों से चली आ रही हैं, जो भी भक्त ये अभीषेक करता हैं भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, आपको बता दें घी से अभिषेक करने की परम्परा यहां प्राचीन समय से ही चली आ रही हैं.
आपको बता दें इस मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन उस समय के जयपुर रिसायत से वास्तुविद विद्याधर जी ने इसके निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी. इस मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से भी जाना जाता था. साथ ही मंदिर में स्थापित भव्य नंदी महाराज को भक्त अपनी परेशानियां बताते हैं और नंदी महाराज भक्तों की समस्याओं को भगवान शिव तक पहुंचाते हैं.
साल भर यहां लगा रहता है भक्तों का तांता
इस मंदिर में श्रावण महिने की तरह पूरे सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर के बारे में यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां जब से इस मंदिर की स्थापना हुई हैं. तब से यहां भगवान शंकर की अखंड ज्योत जल रही हैं जो आज भी बरकरार हैं. इस मंदिर में शिवरात्रि में पर्व पर देशभर से भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए आते हैं यहां हर रोज हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. मंदिर में भगवान शंकर के अलावा भगवान गणेश जी और ठाकुर जी विराजमान हैं, सावन मास के सोमवार को यहां सबसे ज्यादा लोग भगवान शंकर का अभिषेक करने आते हैं.