अब मतदान केंद्रों पर पहले से ज्यादा बुजुर्गों की कतार देखने को मिल सकती है।
केंद्र सरकार ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोट करने के लिए उम्र सीमा 80 से बढ़ाकर 85 साल कर दिया है।
यानी अब 85 से नीचे उम्र के बुजुर्गों को वोट डालने के लिए अनिवार्य तौर पर मतदान केंद्रों पर आना होगा। इससे पहले 80 साल से ऊपर के बुजुर्गों को पोस्टल बैलेट की सुविधा मिली हुई थी।
केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से विचार-विमर्श करने के बाद शुक्रवार को चुनाव संचालन नियम (1961) में संशोधन किया है। सरकार ने ये बदलाव पिछले 11 विधानसभा चुनावों में बुजुर्गों के वोटिंग पैटर्न को देखते हुए किया है।
इन चुनावों में 80 साल से ऊपर के 97 से 98 फीसदी बुजुर्गों ने पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान करने के बजाय मतदान केंद्रों पर जाकर वोट डालना पसंद किया था। इसे देखते हुए ही सरकार ने 2020 में किए गए इस प्रावधान में संशोधन किया है।
बता दें कि चुनाव संचालन नियमों के नियम 27ए के अनुसार, 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मियों और सेना के कर्मचारियों के लिए पोस्टल बैलेट यानी डाक मतपत्र की सुविधा प्रदान की गई है।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कोविड-संक्रमित व्यक्तियों को भी महामारी अवधि के दौरान ये सुविधा दी गई थी।
मतगणना के दौरान अमूमन सबसे पहले पोस्टल बैलेट की ही गिनती होती है। इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है। पोस्टल बैलेट की संख्या कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होते हैं इसलिए इनकी गिनती भी आसानी से हो जाती है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने उन 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं।
इस बैठक में पता चला कि 80 साल से ऊपर के मतदाताओं में से सिर्फ 2-3% बुजुर्गों ने ही पोस्टल बैलेट का विकल्प चुना था; बाकी लोगों ने वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर आने का विकल्प चुना था।
देश भर में 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों की कुल संख्या 1.75 करोड़ है, जिनमें 80-85 वर्ष की आयु वालों की संख्या 98 लाख है।