कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने शुक्रवार को कहा कि 1986 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ताला खोलने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी नहीं, बल्कि कांग्रेस को जिम्मेदार कहा जाएगा क्योंकि उस वक्त पार्टी में शक्तिशाली रहे अरुण नेहरू ने द्वारा यह सब किया गया था।
अय्यर ने आरोप लगाया कि अरुण नेहरू कांग्रेस में भारतीय जनता पार्टी के ‘प्लांट’ थे।
उन्होंने अपनी नई पुस्तक ‘द राजीव आई न्यो’ के विमोचन में मौके पर यह भी कहा कि अगर राजीव गांधी की 1991 में मृत्यु नहीं हुई होती तो अयोध्या विवाद का ऐसा समाधान होता जिसमें मस्जिद भी बनी रहती और राम मंदिर भी बनता।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए उनके साथ बतौर अधिकारी काम कर चुके अय्यर ने इस पुस्तक में ताला खोले जाने के प्रकरण, शिलान्यास और शाह बानो जैसे प्रमुख मामलों पर प्रकाश डाला है।
अयोध्या मामले पर अय्यर ने कहा कि लोकसभा में 400 से अधिक सीटों के बहुमत के साथ राजीव गांधी के पास इसका कोई कारण नहीं था कि वह मुसलमानों को खुश करें या हिंदू भावना को प्रोत्साहित करें।
उन्होंने ताला खोले जाने के प्रकरण की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, ”ताला खोला गया और बड़ी संख्या में हिंदू तीर्थयात्री जो इकट्ठे हुए थे, जानबूझकर अंदर आ गए और राजीव को इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था….ताले खोलने में कांग्रेस का हाथ था…उस कांग्रेसी को पता था कि राजीव गांधी कभी भी कार्यकारी आदेश को रद्द करके ताले को खोलने की अनुमति नहीं देंगे और इसीलिए उन्होंने इस बात राजीव से दूर रखा।”
उनके मुताबिक, एक साल के अंदर ही राजीव गांधी को उन साजिशों का पता चल गया और बाद अरुण नेहरू भाजपा में शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि ताला खोलने के लिए राजीव गांधी को नहीं, कांग्रेस को जिम्मेदार कहा जाना चाहिए।
अय्यर का कहना था कि बतौर कांग्रेसी उनके लिए यह गर्व की बात है कि कांग्रेस नेतृत्व तुच्छ राजनीति का हिस्सा नहीं बना और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया।