देश के अगले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने डीवाई चंद्रचूड़ की उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सराहना की।
खन्ना ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बेहतर बनाने के मिशन पर काम किया। इसे सभी के लिए सुलभ समावेशिता का अभयारण्य बनाने के अपने लक्ष्य का पीछा किया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की ओर से जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए आयोजित विदाई समारोह में न्यायमूर्ति खन्ना ने भावनात्मक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि उनके पद से हटने से उच्चतम न्यायालय में खालीपन आ जाएगा।
जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं। हवा अलग तरह से चलने लगती है।
अन्य पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते और समायोजित करते हैं। लेकिन जंगल फिर कभी वैसा नहीं रहेगा।’ उन्होंने कहा कि सोमवार से हम इस बदलाव को गहराई से महसूस करेंगे।
इस न्यायालय के बलुआ पत्थर के स्तंभों में एक खालीपन गूंजेगा, बार और बेंच के सदस्यों के दिलों में शांत प्रतिध्वनि होगी।
‘…ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी नहीं टूटेगा’
संजीव खन्ना ने डीवाई चंद्रचूड़ के एक विद्वान और विधिवेत्ता होने के गुणों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते समय अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को बहुत संतुलित तरीके से साधा।
अगले प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने कहा, ‘संवैधानिक पीठ के 38 फैसले, जिनमें से दो आज सुनाए गए। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी नहीं टूटेगा।’
भारतीय न्यायपालिका के 50वें प्रमुख के रूप में डीवाई चंद्रचूड़ का शुक्रवार को अंतिम कार्य दिवस रहा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिन्हें वह नहीं जानते थे या जिनसे कभी नहीं मिले थे।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने 4 न्यायाधीशों की रस्मी पीठ की अध्यक्षता की। इस पीठ में मनोनीत प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
यह पीठ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को विदाई देने के लिए बैठी थी। प्रधान न्यायाधीश ने न केवल अपने कार्य बल्कि देश की सेवा करने का मौका मिलने के लिए भी संतुष्टि व्यक्त की।
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