लुधियाना में बढ़ते प्रदूषण से बच्चों में एलर्जी और सांस की बढ़ीं समस्याएं, कैसे करें बचाव?

लुधियाना। पिछले ग्यारह दिनों से प्रदूषण और धुंध से मिश्रण से बने जहरीली स्मॉग ने शहर को अपनी आगोश में लिया हुआ है। वहीं पिछले तीन दिन से ठंड भी बढ़ गई है। अत्याधिक प्रदूषण और ठंड की मार से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।

बच्चों को तीव्र श्वसन संक्रमण चपेट में ले रहा है। उनमें चेस्ट इंफेक्शन से खांसी, जुकाम, नाक बंद, नाक बहने के साथ-साथ बुखार की शिकायत हो रही है। समय पर इलाज न मिलने पर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने की नौबत तक आ रही हैं।

पांच गुना बढ़ गई है बीमार बच्चों की संख्या
शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (डीएमसी) की शिशु रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में सांस व एलर्जी से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे बच्चों की संख्या करीब पांच गुना बढ़ गई है। एक सप्ताह पहले तक जहां ओपीडी में एक डॉक्टर के पास खांसी, जुकाम, कफ के दस से बारह मरीज आते थे, वहीं अब 60 से 70 मरीज आ रहे हैं। अकेले डीएमसी अस्पताल की ओपीडी में ही रोजाना 200 से 300 बच्चे इलाज को पहुंच रहे हैं।

वायू प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं बच्चे
अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अस्थमा व एलर्जी स्पेशलिस्ट डॉ. के मुताबिक बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में बच्चों में प्रदूषित हवा में सांस लेने से तीव्र श्वसन संक्रमण का जोखिम रहता है। दूसरा बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली व्यस्कों की तुलना में कमजोर होती है। इसी वजह से उन्हें वायरस, बैक्टिरिया व अन्य संक्रमणों का भी अधिक खतरा रहता है।

पिछले 10 दिनों में बहुत ज्यादा बढ़ा है प्रदूषण
पिछले दस दिनों से शहर में बहुत ज्यादा प्रदूषण बढ़ गया हैं। ऊपर से ठंड भी एकाएक बढ़ गई है। वायरल इन्फेक्शन भी बढ़ रहा है। तीनों के असर की वजह से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। खासकर, स्कूल जाने वाले बच्चे। क्योंकि वे घर से बाहर अधिक देर तक रहते हैं। जिन बच्चों को अस्थमा, एलर्जी की पहले से ही शिकायत थी, उनको अटैक बढ़ गए हैं। उनकी कई दिनों तक खांसी बंद नहीं हो रही, चेस्ट में आवाज आ रही है।

डॉ. ने बताया कि चिंता की बात यह है कि जब बच्चों को खांसी, जुकाम, नाक बंद होने की शिकायत होती है तो अभिभावक पहले तीन से पांच दिन तो घर पर ही केमिस्टों से दवा लेकर इलाज करते रहते हैं। वे समझते नहीं कि केमिस्ट विशेषज्ञ डॉक्टर की जगह नहीं ले सकते। केमिस्टों को नहीं पता होता कि किस उम्र के बच्चे को दवा की कितनी डोज देनी हैं।

कई बार अभिभावक अपनी मर्जी से केमिस्ट से कफ सिरप या एंटी बायोटिक लाकर एक साल से कम उम्र वाले बच्चों को देते रहते हैं। कई अभिभावक खांसी, जुकाम से पीड़ित बड़े बच्चे की दवा ही डोज कम करके छोटे बच्चों को देते रहते हैं।

यह गलत है, क्योंकि छोटे बच्चे में यह पता नहीं चलता कि कितनी तेजी से सांस ले रहा हैं। ओपीडी में आने वाले ज्यादातर अभिभावकों का कहना होता है कि पांच दिन से खांसी हो रही हैं और ये दवा दे रहे थे, लेकिन फर्क नहीं पड़ा जबकि एक साल से छोटे बच्चों को नींद वाली दवा नहीं दी जाती।

कई कफ सिरप में नींद की दवा होती है। इसके अलावा कई कफ सिरप चार साल की उम्र के बाद दिए जाते हैं। कफ सिरप उम्र के हिसाब से देनी होती हैं।

बच्चे के बीमार होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
डॉ. के मुताबिक ज्यादातर अभिभावक डॉक्टर के पास तब पहुंचते हैं, जब उनकी बीमारी बढ़ जाती है। ज्यादातर बच्चे इलाज के लिए तब आते हैं, जब उनकी छाती से आवाज आने लग जाती हैं, बच्चा खाना-पीना बंद कर देता हैं या बुखार तेज हो जाता है।

इसके पीछे की एक वजह यह है कि उनको साइकलोजिकली डर होता है कि डाक्टर बच्चों को एडमिट कर लेंगे जबकि, ऐसा नहीं होता। ज्यादातर बच्चे ओपीडी इलाज से ही ठीक हो जाते हैं। इसलिए अभिभावक बीमार होने पर तुरंत बच्चों को डाक्टर को दिखाएं।

प्रदूषण से बचाने व बच्चे को खांसी जुकाम होने पर यह करें
एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

स्कूल जाने वाले बच्चों के मामले में एक या दो दिन का इंतजार कर सकते हैं।

खांसी, जुकाम, बुखार या वायरल इन्फेक्शन होने पर बच्चों को स्कूल न भेजे।

बच्चों को घर पर तरल खाद्य पदार्थ ज्यादा दें। जो बच्चे मां का दूध लेते हैं, वह उसे जारी रखे। बोतल में दूध न दें। इससे इन्फेक्शन बढ़ने का खतरा है।

छोटे बच्चों को भीड़ वाली जगह पर लेकर न जाएं। अगर मां को खांसी जुकाम है तो वह मास्क पहनकर शिशु को फीड करवाएं।

अस्थमा व एलर्जी के चलते जो बच्चे इनहेलर पर होते हैं, वे इस मौसम में इनहेलर बंद नहीं करें। इससे ठंडी हवा व प्रदूषण से अटैक आएगा।

प्रदूषण बढ़ने पर छोटे बच्चों को घर से बाहर न निकालें। जिन बच्चों ने स्कूल जाना हैं, उन्हें कपड़े का मास्क पहनाकर ही भेजें।

लगातार छठे दिन 300 से अधिक एक्यूआई
रविवार को जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) औसत 260 और अधिकतम 352 दर्ज किया गया। यह बेहद खराब है। पिछले छह दिनों से एक्यूआई 300 से अधिक ही है। इससे एक दिन पहले 16 नवंबर को यह 434 रहा था और 17 नवंबर को इसमें 82 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। इसके बावजूद वीरवार को शहर स्मॉग की चपेट में रहा। हवा अब भी जहरीली है। वर्षा होने के बाद ही इस प्रदूषण से शहरवासियों को राहत मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *