वन्य प्राणियों की मौत पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी, पीसीसीएफ को जारी किया नोटिस, 10 दिन के अंदर मांगा जवाब

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन्यजीव के संरक्षण को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने पीसीसीएफ को नोटिस जारी करके 10 दिन अंदर जवाब पेश करने के लिए कहा है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर लगी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रदेश में हुई बाघ की मौत को भी संज्ञान में लिया गया। वन्यजीवों के लगातार हो रही मौत को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने जो टिप्पणी की वह वन विभाग के लिए शर्मिंदा करने वाली है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने वन्यजीवों की मौत व पर्यावरण की अनदेखी पर बेहद तल्ख टिप्पणी है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि वन्य जीव लगातार नष्ट हो रहे हैं, पर्यावरण भी नष्ट हो रही हैं, बचा क्या..? वन्य जीवों नहीं बचा पाएंगेज् जंगल को नहीं बच पाएंगेज् तो कैसे चलेगा..? वन्यजीव है, जंगल हैं..! छत्तीसगढ़ में कम से कम यही सब है। जिसके जवाब में महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत में कहा कि मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने बाघ की मौत को लेकर भी टिप्पणी की और कहा यह दूसरी मौत है ? टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहींज् यहां है तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल 8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास खनखोपड़ नाला के किनारे बाघ का शव मिला है। जिसे वन विभाग ने आधिकारिक तौर पर जहर खुरानी की घटना बताया है। जिसकी जांच की जा रही है। हाईकोर्ट के डबल बैंच ने शपथ पत्र के माध्यम से कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की डबल बेंच ने एपीसीसीएफ को नोटिस जारी कर व्यक्तिगतरूप से शपथपत्र के माध्यम से जवाब मांगा है। जिसमें पूछा है वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं..? इसकी पूरी जानकारी के साथ कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए खा है। अब अगली सुनवाई 21 नवंबर 2024 को रखी गई है।

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