रांची। रांची जिला भीषण गर्मी की चपेट में है। रांची का पारा 42 डिग्री को पार कर गया है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे हीट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ रहा है।
ना केवल तेज धूप में रहकर कार्य करने वाले लोग बल्कि इससे खुद को बचाकर रखने वाले लोग भी किसी न किसी गलती की वजह से हीट स्ट्रोक या हीट रिलेटेड इलनेस के शिकार हो रहे हैं।
रोजाना 100 से अधिक रोगियों का हो रहा इलाज
ऐसे रोगी इलाज के लिए रिम्स व सदर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जहां के मेडिसीन ओपीडी में प्रत्येक दिन 100 से अधिक रोगियों का इलाज किया जा रहा है।
रिम्स के मेडिसीन विभाग के डॉ. (प्रो.) अजीत डुंगडुंग बताते हैं कि मेडिसीन ओपीडी में हर दिन 200 के करीब मरीज इलाज के लिए आते हैं। उसमें से एक तिहाई मरीज हीट स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं।
उनमें से अधिकांश मरीजों को इलाज कर छोड़ दिया जाता है। ज्यादा गंभीर होने पर ही उनको अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
डॉक्टर ने क्या कहा?
सदर अस्पताल के मेडिसीन ओपीडी में रोगी का इलाज कर रहे डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि बीते तीन-चार दिनों से तापमान में बढ़ोतरी होने से डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक व ब्रेन स्ट्रोक के मरीज आने लगे हैं। जिनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
जाने क्या है हीट स्ट्रोक
सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. बीके बाखला बताते हैं कि गर्मी से शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन होता है। इस कारण हीट स्ट्रोक होता है। इसमें शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) या उससे ज्यादा हो जाता है।
इस स्थिति में बाडी टेंपरेचर को कंट्रोल करने की क्षमता खो देता है। इसके लक्षणों में अत्यधिक पसीना आना, मांसपेशियों में कमजोरी, चक्कर आना, मतली, उल्टी, और बेहोशी शामिल हैं। समय पर इलाज नहीं कराने पर ब्रेन स्ट्रोक,आंतरिक आगर्न फेलियर, कोमा और यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है।
कैसे करें हीट स्ट्रोक से बचाव
हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए कैफीन युक्त पेय पदार्थों को पीने की बजाय पानी, ओआरएस व जूस का सेवन करें। दिन में कम से कम 10-12 गिलास या 2.5 से 3 लीटर नॉर्मल पानी पिएं। इसमें इच्छानुसार नींबू का रस, जल जीरा पाउडर, सब्जा या तुलसी के बीज, पुदीने का जूस भी मिला सकते है।
गर्मी के मौसम में कॉटन के ढीले-ढाले कपड़े पहनें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। उसके बाद हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देने पर शरीर को ठंडा करने के लिए उसे ठंडे पानी से नहाएं। उसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हाने पर नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर इलाज कराएं।