शादी से पहले लाइलाज बीमारी छुपाने पर HC सख्त, तलाक को दी मंजूरी; वैवाहिक जिंदगी पर भी टिप्पणी…

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने तलाक के मामले में एक अहम फैसला सुनाया। बीमारी छुपाकर शादी करने के मामले में कोर्ट ने तलाक के फैसले को वैध माना है।

शादी से पहले पत्नी और उसके माता-पिता द्वारा लाइलाज बीमारी छुपाए जाने के चलते कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहाकि शादी योग्य लड़का या लड़की अगर शादी से पूर्व किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं और इसके बारे में जानते हैं तो उन्हें दूसरे पक्ष को इस बारे में जानकारी अवश्य देनी चाहिए। जस्टिस विनय जोशी और महेंद्र चंदवानी की बेंच ने यह फैसला सुनाया।

महाराष्ट्र का मामला
मामला महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित अकोला जिले का है। जानकारी के मुताबिक यहां 18 मई 2017 को एक युवक की शादी एक युवती से हुई थी।

यह युवती पीटोसिस बीमारी से पीड़ित थी। पीटोसिस आंख से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है। आरोप है कि शादी के समय लड़की पक्ष द्वारा इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी।

शादी हो जाने के कुछ वक्त बाद जब युवक को इस बारे में जानकारी हुई तो वह अपनी पत्नी से दूर रहने लगा। इसके बाद पत्नी ने पति के साथ रहने की बात कही थी और फैमिली कोर्ट में अपील की थी। 

कोर्ट ने कही यह बात
दूसरी तरफ पति भी कोर्ट पहुंच गया और क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की। उसने कोर्ट में बताया कि उसके पत्नी की बाईं आंख में लाइलाज बीमारी है, जिसके चलते सोते वक्त भी उसकी आंख खुली रहती है।

जिला कोर्ट ने युवक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद उसकी पत्नी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चैलेंज किया था।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने तलाक का फैसला बरकरार रखा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहाकि जिस तरह की सिचुएशन है, उसमें दोनों खुशहाल शादीशुदा जिंदगी नहीं बिता सकेंगे, न ही यह लोग सेक्स का आनंद उठा पाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *