Hardik Pandya Birthday: T20 वर्ल्ड कप के हीरो हार्दिक पंड्या 31 साल के हुए

टीम इंडिया के धाकड़ ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या 11 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं. 31 साल के पंड्या आज भारतीय टीम के पेस अटैक का अहम हिस्सा हैं. वह बीच में साझेदारी तोड़ने के साथ डेथ ओवर्स में भी गेंदबाजी करते हैं. T20 वर्ल्ड कप के फाइनल में तो उन्होंने अपनी गेंदबाजी के दम पर हारी हुई बाजी को पलट दी थी. पहले उन्होंने खतरनाक दिख रहे हेनरिक क्लासेन को आउट कर साझेदारी तोड़ी और फिर अंतिम ओवर में 16 रन बचाकर 17 साल बाद भारत को T20 वर्ल्ड कप का विजेता बनाया. पंड्या ने 3 ओवर में सिर्फ 20 रन देकर 3 अहम विकेट झटके थे. लेकिन क्या आपको इस तरह की करिश्माई गेंदबाजी करने वाले पंड्या कभी लेग स्पिनर हुआ करते थे. फिर एक वाकये से उनका करियर पूरी तरह बदल गया.

पंड्या परिवार का क्रिकेट सफर
हार्दिक पंड्या सूरत के रहने वाले हैं लेकिन क्रिकेट में आगे बढ़ाने के लिए उनके पिता हिमांशु पंड्या बड़ौदा शिफ्ट हो गए. क्योंकि बड़ौदा में क्रिकेट खेलने की सुविधाएं अच्छी थी. इसके बाद उन्होंने हार्दिक और उनके बड़े भाई क्रुणाल का एडमिशन भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज किरण मोरे की एकेडमी में करा दिया. उनके बचपन पर्सनल कोच जितेंद्र कुमार की माने तो 7 साल के हार्दिक शुरू से काफी मेहनती थे. वह एकेडमी सबसे पहले पहुंच जाया करते थे. हार्दिक के पिता ने बताया कि वह पहले सिर्फ बल्लेबाजी किया करते थे. उन्होंने बहुत देर से गेंदबाजी करनी शुरू की और पहले लेग स्पिन में हाथ आजमाया.

हार्दिक बने लेग स्पिनर से तेज गेंदबाज
हार्दिक की तेज गेंदबाज की क्षमता को बचपन के कोच सनथ कुमार ने पहचाना. एक वाकये ने उन्हें लेग स्पिनर से तेज गेंदबाज बना दिया. दरअसल, एक बार नेट सेशन चल रही थी और निचले क्रम के बल्लेबाजों को प्रैक्टिस करना था. इसके लिए कुछ तेज गेंदबाजों की जरूरत थी लेकिन सभी तेज गेंदबाज थके हुए थे. तभी कोच सनथ कुमार ने नेट में उनसे गेंदबाजी करने को कहा. हार्दिक इस दौरान करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गेंद फेंक रहे थे. उनकी पेस और कंट्रोल देखकर सभी हैरान रह गए. इसके बाद सनथ कुमार ने उन्हें इसकी ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी और आज नतीजा सबके सामने है.

विजय हजार ट्रॉफी में पंड्या का ऐतिहासिक प्रदर्शन
हार्दिक पंड्या के पर्सनल कोच ने बताया कि वह शुरू से ही टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज थे और कभी भी बड़ी हिट लगाने से नहीं घबराते थे. उनके अंदर घंटों तक बैटिंग करने की क्षमता थी. कई बार वह लंबी सेशन की बैटिंग के बावजूद अपने कोच से और बैटिंग की गुजारिश करते थे. 2009 में विजय हजार ट्रॉफी की अंडर-16 टूर्नामेंट हार्दिक ने 8 घंटे तक बैटिंग की थी और 391 गेंद में 228 रन ठोक डाले थे. इस दौरान उन्होंने 29 चौके और 1 छक्का लगाया था. इस पारी की वजह से उनका सेलेक्शन कूच बेहार ट्रॉफी की अंडर-19 टीम में हो गया था.

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