संविधान दिवस कार्यक्रम में राज्यपाल बोले-संविधान आधुनिक भारत का धर्म ग्रंथ

भोपाल । संविधान दिवस के मौके पर रवीन्द्र भवन में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा संविधान दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना गर्व की बात है। आज का दिन हम सब भारतीयों के लिए गर्व और प्रसन्नता का दिन है। आज का दिन विश्व व्यापी मूल्यों की पारस्परिक समझ का अवसर और उत्सव है। इस वर्ष संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इसके चलते यह वर्ष और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस महत्व को देखते हुए इस वर्ष को हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान अभियान के रूप में मनाने का निर्णय किया गया है।कार्यक्रम में राज्यपाल ने आगे कहा कि संविधान दिवस के पावन प्रसंग पर भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के सभी महान व्यक्तियों का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें नमन करता हूं। जिनकी अद्भुत दिव्य दृष्टि के प्रयासों ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है जो सभी नागरिकों की समानता स्वतंत्रता और न्याय प्रदान करता है। संविधान स्वतंत्र भारत का आधुनिक धर्म ग्रंथ है जो हम सब का मार्गदर्शक है। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, मंत्री कृष्णा गौर, मुख्य सचिव अनुराग जैन, विधायक भगवानदास सबनानी, रामेश्वर शर्मा सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।

संविधान के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी
राज्यपाल ने कहा कि संविधान को देश के हर नागरिक ने अंगीकृत किया है, इसलिए संविधान के वास्तविक संरक्षक हम भारत के लोग ही हैं। संविधान जहां एक और नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं दूसरी ओर नागरिक भी अपने आचरण और व्यवहार से संविधान का संवद्र्धन और संरक्षण करते हैं। संविधान किसी एक का नहीं बल्कि सभी का संरक्षक है। इसलिए उसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की है।

भावी पीढ़ी को संविधान से परिचित कराएं
राज्यपाल ने कहा- देश के हर वर्ग समुदाय और नागरिक का अपने अधिकारों और कर्तव्यों के अनुपालन के लिए सजग और सक्रिय रहना आवश्यक है। इसलिए जरूरी है कि देश का प्रत्येक नागरिक समर्पित भाव से संविधान के उद्देश्यों और महत्व को समझे और समुचित पालन के द्वारा संविधान के प्रति अपने सम्मान का प्रदर्शन करे। हम सब का दायित्व है कि संविधान के अनुसार जाति, धर्म, लिंग, भाषा इत्यादि के आधार पर भेदभाव बिना एक सशक्त और समावेशी समाज बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें। जरूरी है कि संविधान निर्माताओं द्वारा स्वतंत्र लोकतांत्रिक और आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण के लिए किए गए लंबे संघर्ष और त्याग के बारे में भावी पीढ़ी को परिचित कराया जाए।

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