देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेशभर में लगातार हो रही भारी बरसात के कारण प्राकृतिक आपदा से हुए निजी एवं सार्वजनिक संपत्तियों के भारी नुकसान पर चिंता प्रकट करते हुए दैवीय आपदा प्रभावितों को मुआवजा दिये जाने तथा आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों का उचित विस्थापन किये जाने की राज्य सरकार से मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में विगत कई दिनों से लगातार हो रही भारी बरसात से राज्य के कई जनपदों में निजी एवं सार्वजनिक सम्पत्तियों की भारी क्षति हुई है। जहां एक ओर पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार भारी बरसात एवं बादल फटने की घटनाओं के कारण भारी हानि हुई है वहीं मैदानी जनपदों में बरसात का पानी लोगों के घरों में घुसने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही बरसात से भारी तबाही का मंजर देखने को मिला है। मौसम की पहली ही बरसात में प्रदेश के आपदा प्रबन्धन की पूरी तरह पोल खुल चुकी है, जहां हरिद्वार की सूखी नदी में आये सैलाब में दर्जनों वाहन गंगा नदी में समा चुके हैं वहीं जनपद पिथौरागढ़ में कई लोगों के आवासीय मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। करन माहरा ने कहा कि प्रदेशभर में लगातार हो रही भारी बरसात के कारण कई अन्य जनपदों में भी कमोवेश यही स्थिति है। लगातार हो रही भारी बारिस से प्रदेशभर के कई अन्य क्षेत्रों में भी भारी नुकसान के समाचार मिले हैं तथा कई गांवों के जिला मुख्यालयों से सम्पर्क टूट चुके हैं। मौसम विभाग की पूर्व चेतावनी के बावजूद राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दैवीय आपदा संभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के कोई प्रबन्ध नहीं किये गये हैं। विगत माह पर्वतीय क्षेत्र के कई जिलों में हुई अतिवृष्टि एवं बादल फटने की घटनाओं के चलते आई भीषण आपदा के बाद भी प्रदेश के अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाये जिससे इन क्षेत्रों के लोगों के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है। राज्य में विगत कुछ वर्षों से लगातार आपदा का दंश झेल रहे प्रभावित एवं विस्थापन के लिए चिन्हित 377 गांव पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं परन्तु अभी तक उनके पुनर्वास की भी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। मौसम विभाग की चेतावनी के अनुरूप आने वाले दिनों में होने वाली भारी बरसात में प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की जानमाल की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु समय रहते राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग को समुचित कदम उठाने के साथ ही संवेदनशील क्षेत्र के लोगों के उचित विस्थापन की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। करन माहरा ने हिमालयी क्षेत्र में बन नहीं प्राकृतिक झीलों पर भी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि हिमालयी क्षेत्र में कई प्राकृतिक झीलें निर्मित हो रही हैं जो भविष्य में किसी बडी आपदा का कारण बन सकती हैं। इनमें सबसे अधिक संवेदनशील चमोली में बसुधारा झील, पिथौरागढ़ में मबान, प्यूंगू सहित दो अन्य झीलें प्रमुख हैं जिनके विषय में वैज्ञानिकों द्वारा भारी चिंता प्रकट की गई है जिसका समय रहते निवारण किया जाना जनहित मे अत्यंत आवश्यक है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि लगातार हो रही भारी बरसात के मद्देनजर राज्य के आपदा प्रबन्धन विभाग को चाकचौबंद करते हुए अभी से प्रभावी कदम उठाये जांय ताकि भविष्य में आने वाली दैवीय आपदा से समय रहते निपटा जा सके। आपसे यह भी आग्रह है कि संभावित आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की जानमाल की सुरक्षा करने तथा उनके समुचित विस्थापन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।