विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश
भोपाल। शुक्रवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में लेखा महापरीक्षक केग की रिपोर्ट पेश की गई है। इस रिपोर्ट पर मध्य प्रदेश सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है। मध्य प्रदेश की सरकार पुराना कर्ज और ब्याज चुकाने के लिए नया कर्ज ले रही है।
पिछले 5 वर्षों से मध्य प्रदेश सरकार हर साल कर्ज का ओसतन 32.63 फ़ीसदी राशि का उपयोग कर्ज चुकाने के लिए कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, कर्ज राशि का उपयोग पूंजीगत निवेश और विकास कार्यों में ही किया जाना चाहिए। कर्ज चुकाने के लिए कर्ज का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
लेखा महापरीक्षक की रिपोर्ट में वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 तक का कर्ज विवरण दिया गया है। 2018-19 में 32497.42 करोड़, 2019 में 34364.41 करोड़, 2020-21 में 65170.50 करोड़, 2021-22 में 46284.92 करोड़ तथा 2022-23 में 58867.32 करोड रुपए का कर्ज मध्य प्रदेश सरकार ने लिया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने कर्ज चुकाने के लिए लिए गए कर्ज की राशि का 2018-19 में 41.61 फ़ीसदी, 2019-20 में 31.42 फ़ीसदी, 2020-21 में 19.58 फ़ीसदी, 2021-22 में 32.76 फ़ीसदी तथा 2022-23 में 37.38 फ़ीसदी राशि का उपयोग किया है। इस पर गहन आपत्ति जताई गई है।
महापरीक्षक की रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है। नया कर्ज लेने से पहले राज्य सरकार जरूरत के आधार पर कर्ज ले। मौजूदा नगद राशि का पहले प्रयोग करे। घाटे में चल रहे निगम और मंडलों के उपक्रमों की समीक्षा की जानी चाहिए। सरकार का राजस्व बढ़ाने पर सरकार को ठोस प्रयास करने होंगे।
बिना बजट प्रावधान के 2.37 करोड रुपए के खर्च को असवैधानिक माना है। संविधान के अनुच्छेद 204 के अनुसार राज्य की संचित निधि से कोई भी राशि खर्च नहीं की जा सकती है। ऑडिट में पाया गया है, 2022-23 में आठ बार बिना बजट प्रावधान के 2.37 करोड रुपए खर्च किए गए हैं। इसका अनुमोदन विधानसभा से भी नहीं कराया गया है।