फ्रांस की सफरन भारत में लगाएगी इलेक्ट्रोनिक यूनिट, डिफेन्स सेक्टर को मिलेगा बूस्ट…

फ्रांसीसी रक्षा समूह सफरान ग्रुप भारत में अपनी पहली इलेक्ट्रोनिक यूनिट स्थापित करने के लिए उत्सुक है।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से फ्रांस में हुई मीटिंग में ग्रुप ने यह इच्छा जताई कि वह फ्रांस के बाहर अपनी पहली यूनिट भारत में लगाने के लिए उत्सुक है।

मामले के जानकारी लोगों ने बताया कि यह बातचीत इस बात को दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध किस हद तक मजबूत हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक डोभाल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के राजनयिक सलाहकार इमेनुएल बोने और उनके मुख्य सलाहकार फैबियन मैंडन के बीच दो दिवसीय रणनीतिक वार्ता के दौरान, इस मुद्दे पर चर्चा हुई और फ्रांस ने इसमें अपनी दिलचस्पी दिखाई।

बातचीत के दौरान सफरान ग्रुप की तरफ से सैन्य प्लेटफार्मों के लिए आवश्यक सेंसर और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोनिक्स भागों के निर्माण के लिए एक यूनिट स्थापित करने की योजना को सामने रखा। हालांकि एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक कंपनी यह यूनिट कहां पर लगाएगी इसका निर्णय नहीं लिया गया है।

इससे पहले, फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन एसे ने राफेल लड़ाकू विमानों और नागरिक विमानों को संभालने और मरम्मत करने के लिए उत्तर प्रदेश के जेवर एयरपोर्ट के पास अपना एक केंद्र बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया है।

भारत और फ्रांस की बढ़ती रणनीतिक दोस्ती के कारण फ्रांस ने ड्रोन और आर्म्ड ड्रोन टेक्नोलॉजी में भारत का समर्थन करने का फैसला लिया है और वह भारत के साथ मानव रहित उप-सतह, सतह और हवाई प्रणाली और पनडुब्बियों के लिए पानी के नीचे चलने वाले ड्रोन्स का विकास करने का निर्णय भी लिया है।

एचटी की रिपोर्ट के अनुसार,डोभाल और बोने की मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा से लेकर अंतरिक्ष में सैन्य अनुप्रयोगों तक, सैन्य उपग्रहों के संयुक्त प्रक्षेपण और हैमर मिसाइल जैसे स्टैंड-ऑफ हथियारों के सह-विकास और निर्माण सहित संवेदनशील सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की।

हालाँकि, डोभाल की फ्रांस यात्रा का मुख्य आकर्षण मैक्रोन के साथ उनकी एक घंटे की बैठक थी जिसमें यूक्रेन युद्ध और लेबनान पर इज़राइल के युद्ध पर चर्चा का केंद्र बिंदु था। जहां एनएसए डोभाल ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी बात रखी।

वहीं फ्रांस के विदेश मंत्री जीन नोएल बैरोट ने बेरूत से लौटने के कुछ घंटों बाद पश्चिम एशिया की स्थिति पर अपनी बात रखी।

उनका कहना यह था कि संघर्षग्रस्त देश में एक उदारवादी सरकार का समर्थन करने की कोशिश करते हुए हिजबुल्लाह को सैन्य रूप से कमजोर करने के लिए इजराइल संभवतः लेबनान में अपना जमीनी अभियान जारी रखेगा।

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