भाजपा के नेताओं की तरफ से लगाए जा रहे नए नारों को लेकर राजनीति गर्म हो गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता पहले तय कर लें कि वह योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे को अपनाना चाहते हैं या फिर प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक है तो सेफ हैं’ के संदेश का पालन करना चाहते हैं।
खड़गे ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल लगातार विभाजनकारी भाषण दे रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए नागपुर पहुंचे खड़गे ने मीडिया कर्मियों से कहा कि कांग्रेस नेताओं ने देश को एकजुट करने के लिए पूरा जीवन लगा दिया और आज बीजेपी के नेता देश को विभाजित करने वाले नारे लगा रहे हैं।
वह लगातार ऐसे नारे लगा रहे हैं जिससे लोगों के बीच में वैमनस्य फैलने की संभावना बढ़ती है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपने भाषण में भाजपा के साथ-साथ आरएसएस को भी निशाने पर लिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने एक अखबार का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने पढ़ा है कि आरएसएस योगी आदित्यनाथ के दिए हुए नारे का समर्थन करता है और अगर ऐसा है तो फिर पीएम मोदी के नारे का क्या? मैं आरएसएस और भाजपा के लोगों से कहना चाहता हूं कि आप पहले तय कर लीजिए कि आप किसका नारा अपनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का या फिर उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का।
कांग्रेसी नेताओं ने देश की एकजुटता के लिए जीवन दिया- खरगे
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई नेताओं ने देश की एकजुटता के लिए अपनी जान तक दे दी और आज भाजपा वाले देश की एकजुटता पर ही प्रहार कर रहे हैं। बीजेपी पर हमला बोलते हुए खरगे ने कहा आप लोगों को बांटते हैं और फिर दूसरों को दोष देते हैं।
आप कहते हैं कि बंटेंगे तो कटेंगे। जो भी नेता देश को एकजुट देखना चाहता है वह कभी भी ऐसे विभाजनकारी नारों को बर्दाश्त नहीं करता।
कर्नाटक सरकार को लेकर झूठ बोलते हैं पीएम- खड़गे
खड़गे ने पीएम मोदी पर कर्नाटक सरकार को लेकर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने चुनावों के बाद राज्य में सभी योजनाओं को लागू किया है और बेहतर तरीके से वित्तीय आवंटन किया है लेकिन पीएम मोदी इस मामले पर लगातार झूठ फैला रहे हैं।
एक प्रधानमंत्री का इस तरीके से झूठ बोलना शर्मनाक है। खरगे ने कहा कि मैं पीएम मोदी को चुनौती देता हूं कि वो अपनी पार्टी के नारों की हकीकत दुनिया को बताएं। क्या काला धन वापस आया? क्या किसानों की आय दोगुनी हुई? क्या आपने इन वादों को पूरा किया?
गडकरी और फडणवीस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए खरगे ने कहा कि विदर्भ क्षेत्र के दो बड़े नेताओं ने महाराष्ट्र कि बड़ी परियोजनाओं को गुजरात स्थानांतरित होने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
क्योंकि उन्हें राज्य के विकास से ज्यादा अपने पद की चिंता थी।
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए वोटिंग 20 नवंबर को होगी, जबकि उसके तीन दिन बाद यानि 23 नवबंर को यह पता चल जाएगा कि अगले पांच साल तक महाराष्ट्र में किसका शासन होगा।
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