जशपुर जिले में आज भी सड़क की नहीं सुविधा, कांवड़ और पालकी का सहारा लेकर मरीजों को ले जाते हैं ग्रामीण

 

जशपुर

आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी जशपुर जिले में कुछ ऐसे भी गांव है, जहां सड़क के आभाव में एंबुलेंस नहीं पहुंच रही. लोग आज भी मुख्य सड़क तक पहुंचने कांवड़ और पालकी का सहारा लेकर लंबी दूरी तय करते नजर आ रहे हैं. ताजा मामला मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गृह जिला जशपुर से आया है, जहां के ग्राम पंचायत मरंगी के चुरीलकोना में आज एक गंभीर रूप से बीमार वृद्ध मरीज को पालकी में बिठाकर अस्पताल ले जाने के लिए मुख्य सड़क तक लाया गया.

इस गांव में सड़क की सुविधा नहीं होने से गर्भवती महिला या फिर अन्य मरीजों को आज भी मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए लोग कांवड़ और पालकी का सहारा लेते हैं. छत्तीसगढ़ की सरकार भले ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जशपुर में विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी अपने गांवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इन गांवों में ना स्वास्थ्य सुविधा और न ही सड़क है. यही वजह है कि जशपुर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में आज भी आदिवासियों की जिंदगी एक पालकी पर टिकी हुई है.

ग्राम पंचायत मरंगी के चुरीलकोना में बीते कई सालों से बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को गांव के लोग इसी तरह पालकी के सहारे स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों तक पहुंचाते हैं. इस दौरान कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के चलते कई मरीजों की जान भी चली जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से मांग के बावजूद उनके गांव में सड़क नहीं बन पाई है. इसके चलते उन्होंने आज तक अपने गांव में एंबुलेंस नहीं देखा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *