बांग्लादेश में बिगड़ते हालात ने भारत की भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। शेख हसीना के रहते बांग्लादेश भारत का अच्छा दोस्त रहा है।
करीब 4000 किमी की सीमा को लेकर भी भारत लगभग निश्चिंत रहा है। लेकिन शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद चीजें पहले जैसी नहीं रह जाएंगी।
जिस तरह की खबरें आ रही हैं, उसमें पाकिस्तान से जुड़े कुछ संगठनों और भारत विरोधी ताकतों के सरकार में शामिल होने की बात कही जा रही हैं।
अगर ऐसा हुआ तो आने वाले वक्त में भारत के लिए मुश्किलें बढ़नी तय हैं। आइए जानते हैं शेख हसीना के जाने के बाद भारत की कौन-कौन सी टेंशन बढ़ जाएगी…
भारत विरोधी ताकतों के पनपने की आशंका्
बांग्लादेश में आर्मी ने शासन संभाल लिया है। वहां के आर्मी चीफ ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है। खबरें हैं कि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को इस अंतरिक सरकार में शामिल नहीं किया जाएगा।
जो दो पार्टियां सरकार में शामिल हो रही हैं वह हैं, बांग्लादेश नेशनल पार्टी और जमात-ए-इस्लामी। यह दोनों भारत को लेकर जहर उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं।
जमात-ए-इस्लामी का तो पाकिस्तान से जुड़ाव जगजाहिर है। वहीं, बांग्लादेश नेशनल पार्टी को जब भी मौका मिला है भारत के खिलाफ नकारात्मक बातें कहीं हैं।
शेख हसीना ने प्रधानमंत्री रहते हुए भारत विरोधी ताकतों पर लगाम लगा रखा था। लेकिन अब हालात कैसे होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता है। यह भी देखना होगा कि भारत विरोधी ताकतें बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में न करें।
बॉर्डर पर कैसे होंगे हालात
भारत और बांग्लादेश की सीमा करीब 4000 किमी लंबी है। जब तक शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं, भारत बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहा।
इस दौरान उसने देश में विकास और आर्थिक उन्नति पर ध्यान दिया। लेकिन हालात बदलने के बाद अब बॉर्डर को लेकर एहतियात बढ़ाना होगा।
खासतौर पर यह देखते हुए कि ड्रग्स, मानव तस्करी और नकली नोटों का खतरा यहां पर लगातार मंडराता रहता है। भारत की चिंता रहेगी कि बांग्लादेश की नई सरकार इन चीजों को कैसे हैंडल करती है।
नई सरकार करेगी सहयोग
भारत को यह भी चिंता रहेगी कि आने वाले वक्त में बांग्लादेश के साथ रक्षा सहयोग कैसा रहेगा। इसके अलावा आतंकवाद पर लगाम लगाने की कोशिशों पर भी असर पड़ने की आशंका है।
पीएम मोदी और शेख हसीना की पूर्व की मुलाकातों में आतंकवाद पर लगाम लगाने के संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया गया था। इसके अलावा बांग्लादेश सैन्य बलों के मॉडर्नाइजेशन के लिए रक्षा औद्योगिकी सहयोग की बात भी चली थी।
लेकिन नई सरकार के साथ चीजें किस तरह से रूप बदलेंगी इस पर गौर करना होगा।
चीन पर नजर
शेख हसीना के वक्त भी बांग्लादेश और चीन के संबंध काफी बेहतर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह तय किया चीन के साथ कोई भी डील भारत से संबंधों पर असर न डाले।
तीस्ता डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में चीन का इंट्रेस्ट होने के बावजूद शेख हसीना ने जोर दिया था कि भारत ही इसे शुरू करे। पीएम मोदी के साथ पिछली मीटिंग के दौरान भारत वहां पर टेक्निकल टीम भेजने पर सहमत हो गया था।
वहां पर भारत विरोधी ताकतों के पनपने से चीन के लिए खुद को वहां पर मजबूत बनाना और आसान हो सकता है। ऐसे में भारत को देखना होगा कि नई सरकार इन महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर क्या रवैया अपनाती है।
रक्षा सौदों पर सवाल
भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग इस वक्त काफी बेहतर था। लेकिन शेख हसीना के देश छोड़कर भाग जाने के बाद बहुत सारी चीजें अधर में लटक गई हैं। बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार उज जमान अगले कुछ दिनों में भारत की यात्रा करने वाले थे।
जून में आर्मी बनने के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा होती। एक महीने पहले ही बांग्लादेश ने इंडियन डिफेंस शिपयार्ड के साथ एक डील साइन की थी।
इस पर बड़ी रकम खर्च होनी थी, लेकिन जिस तरह से बांग्लादेश में हालात बदले हैं, भारत अब वेट एंड वॉच की मुद्रा में आ गया है।
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