बांग्लादेश में आज लोकसभा चुनाव होने वाला है। दो बार से सत्ता पर आसीन शेख हसीना फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद कर रही हैं।
बीते कई सालों में शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश तरक्की की राह पर चल रहा है।
साल 2022 के बाद से ही बांग्लादेश 7.1 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ दक्षिण एशिया के अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिला रहा है।
बांग्लादेश में होने वाले आम चुनाव से भारत और चीन दोनों को काफी उम्मीदें हैं। दोनों देशों की खास इच्छा है कि शेख हसीना एक बार फिर से बांग्लादेश की बागडोर थामे क्योंकि जब से शेख हसीना ने सत्ता संभाली है, वे दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को लेकर दृढ़ रही हैं।
बांग्लादेश से बढ़ीं अन्य देशों को आशाएं
हाल के दिनों में बांग्लादेश ने दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संतुलन बना कर रखा है, खासकर शेख हसीना सरकार इस बात को काफी अच्छी तरह से समझती है कि चीन को लेकर भारत की सीमाएं क्या हैं और चीन के साथ वह किस हद तक दोस्ती बढ़ा सकती है।
अपनी आजादी के 52 सालों बाद बांग्लादेश आर्थिक और भूराजनीतिक रूप से एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, इसके लिए शेख हसीना के नेतृत्व को श्रेय जाता है।
400 अरब डॉलर वाली बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में दुनिया के कई देश अपने लिए उम्मीदें तलाश रहे हैं, यही कारण है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी बांग्लादेश का दौरा करने से खुद को नहीं रोक पाए।
दुनियाभर की इस चुनाव पर नजर
अब जब एक बार फिर बांग्लादेश में राष्ट्रीय चुनाव हैं तो ऐसे में दुनिया के देशों में इस चुनाव को लेकर काफी दिलचस्पी बढ़ गई है।
बफर स्टेट रूप में भारत की प्राथमिकताओं से लेकर चीन की बेल्ट एंड रोड विजन तक, अमेरिका के रणनीतिक साझेदारी से लेकर रूस के साथ व्यापारिक समझौतों तक…रविवार को होने वाले इस चुनाव पर कई महाशक्तियों की नजर है।
चुनाव को क्यों अहम मानते हैं भारत और चीन
राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के आरोपों के बावजूद प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने चौथे कार्यकाल की तरफ बढ़ रही हैं।
2014 और 2018 के चुनाव में अनियमितताओं के आरोपों बाद भी शेख हसीना इस बार फिर से चुनाव जीतने की उम्मीद कर रही हैं। ऐसे वक्त में भारत और चीन शेख हसीना और अगर वह जीत कर आती हैं तो उनकी सरकार से काफी उम्मीदें रखते हैं।
दोनों देशों के साथ बांग्लादेश के आर्थिक के साथ-साथ बहुत हद तक क्षेत्रिय हित भी जुड़े हुए हैं। भारत-चीन के बीच व्यापक टकराव के बाद भी बांग्लादेश दोनों देशों के बीच तालमेल बैठाने में कामयाब रहा है। खासतौर पर शेख हसीना सरकार दोनों देशों के साथ अपने हित को मजबूती से समझती हैं।
साल 1971 की जंग के दौरान भारत बांग्लादेश को मुक्त कराने के लिए उससे साथ डटा था, वहीं चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया था।
इन ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद मौजूदा वक्त में दोनों से देशों के साथ बांग्लादेश की कूटनीति व्यापारिक और आर्थिक हितों के साथ आकार ले रही हैं।
एक तरफ जहां बांग्लादेश भारत के साथ 2021-22 में 15 अरब डॉलर से ज्यादा का द्विपक्षीय व्यापार हित साझा करता है, वहीं बांग्लादेश की चीन के साथ 25 अरब डॉलर की डील साइन है।
भारत और चीन से बांग्लादेश के संबंध
क्षेत्रीय स्तर पर भारत बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण रूप से पूर्वी बफर स्टेट के रूप में मान्यता देता है।
भारत बांग्लादेश के आर्थिक हितों में उसका साझेदार है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय विकास में योगदान देते हुए भारत बांग्लादेश को आवश्यक बंदरगाहों के साथ-साथ पावर ग्रिड तक पहुंच प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध और भौगोलिक निकटताएं रिश्तों को और मजबूत करती हैं।
इसके ठीक इतर बांग्लादेश रणनीतिक रूप से चीन के साथ जुड़ गया है। बांग्लादेश चीन की मेगा परियोजनाओं का हिस्सा बन अपने लिए आर्थिक संभावनाओं की नई दिशाएं तलाश रहा है।
बांग्लादेश चीनी हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। वहीं भारत रक्षा आयात के लिए बांग्लादेश को 500 मिलियन डॉलर का लोन दे चुका है।
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