गाजा में जारी युद्ध के बीच इजरायल ने बड़ा फैसला लिया है। गाजा पट्टी में तैनात हजारों सैनिकों को इजरायल अस्थायी तौर पर वापस बुला रहा है।
युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायल की यह अब तक की सबसे बड़ी घोषणा है। सेना का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों के गाजा में तैनात होने की वजह से अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
बीते तीन महीनों से इजरायल में जरूरी गतिविधियां ठप हैं और इसका असर इकॉनमी पर हो रहा है।
ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने कुछ सैनिकों को मोर्चे से बुलाकर काम पर जुटने को कहा है। हालांकि इजरायल के इस फैसले का यह अर्थ नहीं है कि वह युद्ध को रोकने या कम करने जा रहा है।
इजरायल का कहना है कि यह जंग 2024 में भी पूरे साल जारी रह सकती है और हम इसके लिए तैयार हैं।
इजरायली सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा कि हमारी ओर से कुछ सैनिकों को बुलाने का यह मतलब नहीं है कि हम किसी तरह का समझौता करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए इन लोगों को वापस बुलाया जा रहा है और मोर्चे पर युद्ध भी पहले की तरह ही चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि सेना को इस हिसाब से प्लान करना होगा कि हमें पूरे साल ही जंग लड़ना है।
हगारी ने कहा कि हम कुछ सैनिकों को वापस बुला रहे हैं तो बीच में कुछ लोगों को मोर्चे पर वापस तैनात भी किया जाएगा। इस तरह एक बैलेंस रहेगा और यु्द्ध के साथ अर्थव्यवस्था पर भी फोकस करेंगे।
अमेरिका ने भी इजरायल के इस फैसले का स्वागत किया है। बाइडेन प्रशासन ने कहा कि हम इसी की मांग कर रहे थे। अब उम्मीद है कि उत्तरी गाजा में युद्ध थोड़ा धीमा होगा।
यही नहीं अब आगे की रणनीति पर काम होगा और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इसी महीने फिर से इजरायल का दौरा करेंगे।
अमेरिका का कहना है कि इजरायल को अपनी सुरक्षा का पूरा हक है, लेकिन उसे आम फिलिस्तीनी नागरिकों को निशाना नहीं बनाना चाहिए। इसकी बजाय वह पूरा फोकस हमास के ठिकानों पर करे, जिसने 7 अक्टूबर का हमला किया था।
बता दें कि 7 अक्टूबर को शनिवार के दिन हमास ने इजरायल पर हमला बोला था। यह हमला शनिवार को ही इसलिए किया गया था क्योंकि इजरायली इस दिन आराम करते हैं और धार्मिक कर्मकांड करते हैं।
ऐसे में हमास ने यह भीषण हमला किया, जिसमें करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में उसने लोगों को बंधक भी बना लिया था।
इसके जवाब में इजरायल ने भीषण हमले किए और अब तक 20 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक अब तक 24 लाख लोगों को पलायन भी करना पड़ा है।