दोगुना उत्पादन और लागत में कमी के चलते किसान अपना रहे हैं श्री पद्धति

रायपुर,

राज्य के सुदूर दंतेवाड़ा जिले में भी किसान श्री पद्धति को अपनाने लगे हैं। परंपरागत रूप से धान की बोनी के मुकाबले दोगुने उत्पादन और लागत में कमी इस पद्धति की खासियत है। चालू खरीफ मौसम में जिला प्रशासन और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयास से 540 हेक्टेयर में धान की बोनी की गई है। जिले के अन्य किसानों को भी इस पद्धति को अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ से बोआई करने पर न केवल पानी की कम आवश्यकता पड़ती है साथ ही  इस पद्धति से खेती करने में फसल में रोग भी लगने की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा ’’श्री पद्धति’’ के बोनी में उर्वरक और रासायनिक दवाओं, कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जगह ’’ग्रीन मन्योर’’ (हरी खाद) का उपयोग किया गया है। ’’श्री पद्धति’’ से खेती करने पर लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन होगा। इसके लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इस पद्धति से खेती के लिए जिले के विकासखंड गीदम, और दंतेवाड़ा क्षेत्र के किसानों द्वारा अधिक रूचि दिखाई जा रही है।

अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ बोआई के अन्य लाभ में कम बीज से अधिक उत्पादन भी शामिल है। इसके अलावा धान की खेती करने में लागत भी कम आती है। परंपरागत खेती में एक हेक्टेयर में जहां 50 से 60 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, वहीं ’’श्री पद्धति’’ से धान की खेती में बीज जरूरत महज 5 से 6 किलो की ही होती है। ऐसे में किसानों को कम बीज में अधिक उत्पादन मिलेगा। जिला प्रशासन की पहल पर जिले में 600 हेक्टयर में श्री पद्धति से धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है इसके साथ ही 1200 हेक्टेयर रकबे में ग्रीन मैन्योर (हरी खाद) तैयार कर उत्पादकता को बढ़ाने दिशा में कार्य किया जा रहा है।

     वर्तमान में बारिश की स्थिति जिले में अच्छी होने के चलते किसानों को ’’श्री पद्धति’’ से खेती के लिए अनुकूल अवसर मिला है। इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों को खेती की तैयारी से लेकर पौधों की रोपाई की पूरी जानकारी दी जा रही है। साथ ही खरपतवार नियंत्रण के बारे में भी बताया जा रहा है। पिछले वर्ष तक जिले में महज एक सौ पचास हेक्टेयर में ही ’’श्री पद्धति’’ से किसान धान की खेती करते थे। जबकि इस वर्ष श्री पद्धति से धान की खेती का रकबा बढ़ाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *