चाहे ग्रामीण अंचल हो या फिर शहरी ठिकाना, आमतौर पर घर के अंदर जूता चप्पल पहनकर आने से मनाही होती है. इसे सामाजिक कारणों के साथ साथ वैज्ञानिक तथ्यों के साथ भी जोड़ा गया है. लोगों में एक धारणा यह भी है कि चप्पल जूता पहनकर जाने से दिमागी बीमारी भी होती है. इस कन्फ्यूजन को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर अनिल सेठिया ने सभी तथ्यों को समझाने का प्रयास किया है.
इस तरह की अफवाहें और धारणाएं अक्सर लोगों के बीच सांस्कृतिक या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर फैलती हैं. कई बार ऐसा कहा जाता है कि घर में जूता-चप्पल पहनने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है, लेकिन यह दावा वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध नहीं है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से घर में जूता-चप्पल पहनने से मानसिक बीमारी का कोई संबंध नहीं है. मानसिक बीमारियां जैसे कि डिप्रेशन, एंग्जायटी या डिमेंशिया, जैविक, मानसिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन के कारण होती हैं. इनका संबंध व्यक्ति की जीवनशैली, जीन, मानसिक स्वास्थ्य और तनाव से होता है, न कि घर में जूता-चप्पल पहनने से.
क्या है स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अनिल सेठिया के अनुसार घर में जूता-चप्पल पहनने से यदि कोई जोखिम होता है तो वह केवल साफ-सफाई से संबंधित हो सकता है. बाहर से आए जूते-चप्पल में धूल-मिट्टी, कीटाणु और बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो घर की स्वच्छता को प्रभावित कर सकते हैं. इससे संक्रमण का खतरा हो सकता है लेकिन मानसिक बीमारी का नहीं.
घर में जूता-चप्पल पहनने से मानसिक बीमारी फैलने का दावा पूरी तरह से झूठ है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. घर में सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के लिए जूता-चप्पल पहनने का कोई असर नहीं होता है. मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही दिनचर्या, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन महत्वपूर्ण होते हैं.