आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के आरोपी संजय रॉय की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ही कोर्ट में नहीं पहुंचे।
देर होने पर जज ने परेशान होकर कहा कि क्या आरोपी का जमानत ही दे देनी चाहिए। सीबीआई के वकील 50 मिनट की देरी से कोर्ट में पहुंचे।
अडिशनल चीफ जूडिशल मजिस्ट्रेट पामेला गुप्ता को 4 बजकर 10 मिनट पर एक अधिकारी से पता चला कि सरकारी वकील लेट हो गए हैं। जज ने कहा, अगर वकील ही मौजूद नहीं हैं तो उन्हें रॉय को जमानत दे देनी चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब कुछ देर इंतजार करने के बाद भी वकील दीपक पोरिया कोर्ट में नहीं पहुंचे तो जज ने सीबीआई के ही एक अधिकारी से फोन करने को कहा।
उन्होंने कहा, 4;20 हो गए हैं और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। केस में असिस्टेंट इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर कोर्ट से बाहर गए और लगभग 15 मिनट बाद वापस आए।
उन्होंने कहा, वकील रास्ते में ही हैं। पोरिया कोर्टरूम में करीब 5 बजे आए। इसके बाद डिफेंस लॉयर कविता सरकार ने कहा कि आखिर सीबीआई की तरफ से वह वकील क्यों नहीं पेश हुए जो 23 अगस्त की सुनवाई में आए थे।
पोरिया ने कहा कि वह सीबीआई के फुल टाइम वकील हैं। उन्होंने बिना कोई कारण बताते हुए ही कोर्ट में रॉय की जमानत याचिका का विरोध किया।
इसके बाद मजिस्ट्रेट ने संजय रॉय को 20 सितंबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रॉय के वकील ने कहा कि उसके खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई अब तक कोई पुख्ता सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर पाई है, इसीलिए वह कोर्ट में बहस करने से हिचकिचा रही है। ऐसे में संजय रॉय को जमानत दे देनी चाहिए।
बता दें कि 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या मामले में फिलहाल अकेले संजय रॉय को ही आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद संजय रॉय की न्यायिक हिरासत दोबारा बढ़ाई गई है। इससे पहले 23 अगस्त को सीबीआई ने संजय रॉय की हिरासत मांगी थी।
हालांकि कोर्ट में सीबीआई ने गैंगरेप का जिक्र नहीं किया था। वहीं पीड़िता के मां-बाप का कहना है कि इस अपराध में एक से ज्यादा लोग शामिल थे।
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