महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में नुकसान के बाद अब बीजेपी ने विधानसभा चुनाव की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
अक्टूबर में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकते हैं। वहीं बीजेपी ने 2019 में 23 लोकसभा सीटें जीती थीं लेकिन इसबार 9 पर ही सिमट गई।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले बीजेपी गठबंधन के अंदर की कमियां दूर करना चाहती है। महायुति के अंदर ही शिवसेना और अजित पवार की अगुआई वाली एनसीपी में रार देखने को मिली है।
वहीं बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर भी सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है।
मोदी फैक्टर का नहीं मिला फायदा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने इस बार राज्य के नेताओं को प्रमुखता देने का फैसला किया है। उनके द्वारा सुझाए गए रोडमैप को ही आगे रखा जाएगा।
बीजेपी का मानना है कि सीधे केंद्र के दखल की वजह से महाराष्ट्र की जनता संतुष्ट नहीं हो पाई। हाल में हुई बैठक में बीजेपी नेताओं ने कहा कि केंद्रीकृत राजनीति की वजह से महाराष्ट्र में नुकसान उठाना पड़ा है।
स्क्रिप्ट केंद्र से आ जाती थी और राज्य में केवल उसका पालन करना होता था। मोदी फैक्टर को आगे रखा गया और स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसे में विपक्षियो को फायदा मिल गया।
बीजेपी को यह भी अहसास हुआ है कि चुनाव से पहले संगठन में कम्युनिकेशन कम हो गया था। कैडर और लीडरशिप के बीच संवाद ना होने की वजह से रणनीति नहीं तैयार हो सकी।
कैडर से बिना सलाह लिए ही उसपर संगठन के फैसले थोप दिए गए। वे थिएटर में ऑडियंस की तरह यह सब देखते रहे। बीजेपी के एक सीनियर मंत्री ने कहा कि संगठन में प्रभावी संचार लागू करना जरूरी है। कम्युनिकेशन की कमी की वजह से बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
48 लोकसभा सीटों का दौरा करेंगे बीजेपी नेता
महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों को अब विधानसभा चुनाव के लिए टारगेट किया जाएगा। बीजेपी नेता सभी लोकसकभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे और गरीबों के लिए रणनीति का प्रचार करेंगे।
वहीं अगले महीने बीजेपी एक और बैठक करेगी जिसमें रणनीति की प्रगति पर चर्चा होगी। बीजेपी को भी पता है कि इस बार महाविकास अघाड़ी विधानसभा चुनाव में कड़ी चुनौती देने वाला है।
राज्य में बीजेपी चीफ बावनकुले ने कहा कि संगठन और गठबंधन में जो भी स समस्याएं थीं वे खत्म हो गई हैं। अब एक टीम की तरह विधानसभा चुनाव की तैयारियां होंगी।
बता दें कि फिलहाल 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में सीट शेयरिंग पर सहमति भी आसान नहीं है। बीजेपी को यह भी पता है कि अगर महायुति में फूट पड़ती है तो उसे बैकफुट पर आना पड़ेगा।बीजेपी ने 2019 में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 56 सीटों पर जीत हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव में महायुति को 17 सीटों पर जीत मिली है वहीं महाविकास अघाड़ी ने 30 सीटों पर कब्जा कर लिया। इके बाद बावनकुले और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों ने ही इस्तीफे का प्रस्ताव रखा था।
हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसा करने से मना कर दिया। देवेंद्र फडणवीस ने माना है कि राज्य में आगे पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है।
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