प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस जाने की तैयारी कर रहे हैं।
इसी बीच खबरें हैं कि रूस में अब हिंदू मंदिर की मांग लेकर समुदाय एकजुट होता नजर आ रहा है।
खास बात है कि नेपाल और भारत जैसे दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में सबसे ज्यादा माना जाने वाले हिंदू धर्म ने 1900 के दशक के आसपास रूस में मौजूदगी दर्ज कराना शुरू कर दी थी। रूस में बड़ी संख्या में ईसाई धर्म मानने वाले हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन बिजनेस अलायंस के अध्यक्ष स्वामी कोटवानी ने रूस की राजधानी मॉस्को में पहली हिंदू इमारत तैयार करने की इच्छा जाहिर की है।
माना जाता है कि भारत के साथ मजबूत रिश्तों के चलते रूसी सरकार हिंदू मांगों को लेकर खासी गंभीर है। हालांकि, यहां पहले से ही हिंदू धर्म से जुड़े भवन और समुदायिक केंद्र मौजूद हैं।
अब पीएम मोदी 8 जुलाई को रूस पहुंच रहे हैं। इससे पहले ही हिंदू समुदाय ने मॉस्को में हिंदू मंदिर बनाए जाने की इच्छा जाहिर कर दी है।
मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में कई ISKCON मंदिर मौजूद हैं। हालांकि, ये मंदिर एक सादे भवन में हैं, जिसे भारतीय समुदाय बदलना चाहता है और मंदिर जैसी इमारत की मांग देश की सरकार के सामने रख दी है।
रूस दौरे पर पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। खास बात है कि लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद मोदी का यह पहला विदेशी दौरा होगा।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम जारी होने के बाद पुतिन ने मोदी को फोन पर बधाई भी दी थी। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी इस पास स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन NDA सरकार बनाने में सफल रही।
दोनों नेता इस साल के अंत में रूस के कज़ान में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा तब हो रही है जब रूस ने भारत के साथ एक रसद साझीदारी समझौते को मंजूरी दे दी है।
दोनों पक्ष पिछले कुछ वर्षों से संयुक्त सैन्य तैनाती पर बातचीत कर रहे हैं, जो अनिवार्य रूप से एक पारस्परिक रसद विनिमय (आरईएलओएस) सौदा है।
यह समझौता रूस और भारत के सैन्य संरचनाओं, युद्धपोतों और सैन्य विमानों के पारस्परिक रवानगी की प्रक्रिया पर है।
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